आपसे प्यार हुआ जाता है
खेल दुश्वार हुआ जाता है
दिल जो हर क़ैद से घबराता था
ख़ुद गिरफ़्तार हुआ जाता है
तूने क्यूँ प्यार से देखा मुझको
दर्द बेदार हुआ जाता है
इस तमन्ना में कि तुम दोगे सज़ा
दिल गुनाहगार हुआ जाता है ।
कैफ़ी आज़मी
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Literature