Feb 6, 2021
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कुछ दोस्त

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जब जब डूबा हूँ मैं चाँद की तरह,
वो ख़ुद डूब,सूरज सा मुझे उगा देते है ।
कुछ दोस्त आसमाँ के सितारों से होते है ।
कश्ति को मेरी संभाले रखते है ।
तूफाँ-आँधी से बचा के रखते है ।
कुछ दोस्त समंदर के किनारों से होते है ।
ग़मो को रोक के रखते है
ख़ुशियों को सजाए रखते है
कुछ दोस्त महल के मीनारों से होते है ।
मेरे होंसलों की नींव को संभाले रखते है ।
दुःखों की धूप से बचाए रखते है ।
कुछ दोस्त छत ओ दीवारों से होते है ।
पतझड़ में शाख से रहते है ।
सर्द में ओस बन साथ रहते है ।
कुछ दोस्त मौसम की बहारों से होते है ।
सारे दर्द ओ ग़म को चुन लेते है ।
हर दुआ को मेरी सुन लेते है ।
कुछ दोस्त मंदिर ओ मजारों से होते है ।
 वैशाली बारड
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Literature

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