संसद दाईं तरफ है
7 RCR दाईं तरफ है
नीति आयोग दाईं तरफ है
यहाँ तक कि साहित्य अकादमी
दाईं तरफ है
और सर्वोच्च न्यायालय भी!
वो खींच लेना चाहते है
सारी जमीन, सारी नदियाँ, सारा जंगल दाहिनी तरफ ही!
हमसे कहा जा रहा है
आप सभ्य नागरिक हैं
नियमो का पालन
मुस्तैदी से करे
हमेशा बायें तरफ चलें!
मै इस स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य में
कुत्ता बनना चाहता हूँ
जो यूँ ही चलते-चलते
बेधड़क घुसता है कहीं भी
बिना खदेड़े जाने का खौफ लिए!
अखिलेश श्रीवास्तव
Article Tags:
Akhilesh ShreevastavArticle Categories:
Literature