Feb 11, 2021
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हमे छोड़ गई …

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दिल मे दबी हे कितनी बाते तुम्हें बताने को l
पर तुम तो हमे कह गई हमारी मुहब्बत छुपाने को ll

अरे वादे तो नजाने तुम यूँ ही कितने कर गई l
बस अब तो ये ग़म ही बचा है दफ़नाने को ll

मुलाकातें इतनी न थी जितनी यादे तुम छोड़ गई l
उसके सिवा तो कुछ नई बचा अब गवांने को ll

आँखों मे आंसू बोए नहीं और तुम हमे छोड़ गई l
एसी हिम्मत लाए कहा से दिल के टुकड़े उठाने को ll

तुम्हें आखरी खत लिखने की हमे वज़ह मिल गई l
लिखा था हम नहीं रहेंगे तुम पर जान लुटाने को ll

घिरेनकुमार के सुथार “घीर”

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Literature

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