Mar 19, 2021
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Indian Railways : डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को लेकर बड़ा ऐलान, अगले साल मिलेगा बहुत बड़ा तोहफा

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अगले साल यानी आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर भारतीय रेलवे देश को बहुत बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है। तब तक पूर्वी और पश्चिमी दोनों डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के ऑपरेशनल हो जाने की बात कही गई है। ऐसा हो जाने से देश में माल ढुलाई की तस्वीर ही पूरी तरह से बदल जाएगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में संसद को बताया है कि जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, देश के दोनों महत्वपूर्ण डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का संचालन शुरू हो जाएगा। बता दें कि पिछले साल के आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रेट कॉरिडोर के खुर्जी-भाऊपुर सेक्शन का उद्घाटन भी किया था।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के पहले चरण में जिसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड पूरा कर रहा है- 1,504 किलोमीटर वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और 1,856 किलोमीटर ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है, जिसमें सोननगर से दनकुनी के बीच पीपीपी मोड सेक्शन भी शामिल है। ईडीएफसी की शुरुआत साहनेवाल से होगी। यह समर्पित माल गलियारा पंजाब, यूपी, हरियाणा, बिहार और झारखंड से होकर गुजरेगा। यह कॉरिडोर पश्चिम बंगाल के दनकुनी में समाप्त होगा। जबकि डब्ल्यूडीएफसी यूपी के दादरी से देश की वित्तीय राजधानी मुंबई के जेएनपीटी को जोड़ेगा। यह फ्रेट कॉरिडोर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा। इन दोनों कॉरिडोर के 2,800 किलोमीटर (पीपीपी सेक्शन सोननगर-दनकुनी के अलावा) के सेक्शन के जून, 2022 तक चालू होने की बात कही जा रही है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 29 दिसंबर को ही ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर के खुर्जा-भाऊपुर सेक्शन का उद्घाटन किया था। इसे देश में माल ढुलाई के लिए पावर बूस्टर माना जा रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी पटरी पर तेजी से दौड़ सकेगी। तब बताया गया था कि 5,750 करोड़ की लागत से बने 351 किलोमीटर के इस सेक्शन से यूपी के एल्युमिनियम, शीशा और ताला जैसे कई उद्योगों को बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा। यही नहीं इस नए रूट से माल ट्रेनों के चलने से कानपुर-दिल्ली के बीच मेन लाइन पर भी ट्रैफिक का दबाव घटेगा और उस फ्रंट पर भी लोगों को राहत मिलेगी। बता दें कि देश में 1950 की शुरुआत में माल ढुलाई में रेलवे का हिस्सा 83 प्रतिशत था। लेकिन पिछले दशक की शुरुआत में यह घटकर महज 35 प्रतिशत तक पहुंच गा था। दूसरी तरफ सड़कों से ढुलाई का हिस्सा 40 फीसदी तक पहुंच गया, जो कि पहले नहीं था। देश के सबसे बड़े ट्रांसपोर्ट की इसी स्थिति को ठीक करने के लिए यह पहल शुरू की गई थी।

VR Niti Sejpal

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Travel & Tourism

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