कभी सुना है तुमने उस गवई स्त्री के ठहाके में दर्द का अट्टहास जिसकी हकीकत […]
संसद दाईं तरफ है 7 RCR दाईं तरफ है नीति आयोग दाईं तरफ है यहाँ […]
मैंने दुखों का समन्दर पैरों से लांघकर नहीं सर के बल चलकर पार किया है […]
मैं शाम होते–होते तुम्हें चाँद कह ही देता हूँ नहीं तो रात तक तुम मेरे […]