झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं दबा दबा सा सही दिल में प्यार […]
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो आँखों […]
अब और क्या तेरा बीमार बाप देगा तुझे बस एक दुआ कि ख़ुदा तुझको कामयाब […]
आज सोचा तो आँसू भर आए मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए हर कदम पर उधर मुड़ […]
प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा ग़म किसी दिल में सही ग़म को मिटाना […]
ज़रा-सी आहट होती है तो दिल सोचता है कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये […]
ये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे काम की नहीं किसको सुनाऊँ हाल दिल-ए-बेक़रार का बुझता हुआ […]
तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है के जहाँ मिल गया एक भटके […]
तुम बिन जीवन कैसा जीवन फूल खिलें तो दिल मुरझाए आग लगे जब बरसे सावन […]
रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ बार-हा तोड़ […]