सुनो प्रेम!! बाहरी दिखावे से त्रस्त, जब सताए अवहेलना, घीर जाओ तुम अवसाद से, भीड़ […]
गुस्से मैं आगबबूला हो के सुबह सुबह दौड़ के कॉलेज आया और चिल्ला उठा – […]
आज किताब से मेरे पुराना गुलाब निकला, जैसे मोहब्बत का इक अधूरा हिसाब निकला, महक […]
इस बार तो बरगद पे कितनी मोलियाँ बांधी, दरगाह पर चादरें भी चढ़ाई दर दर […]
दरअसल मसला यह था की इक मुद्दत से मैंने समेटे रखा था ख़ुद को, और […]
मिले थे हम जिस रात, वो सर्द मौसम, और वो मायूस हम इतने बरस उस […]