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आजादी से पहले का दौर; उम्मीदों और अरमानों से भरी एक प्रेम कहानी; और एक नए भारत का सूर्योदय; सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन प्रस्तुत करता है “क्यों उत्थे दिल छोड़ आए”

शुरू हो रहा है आज रात से, हर सोमवार से शुक्रवार रात 9 बजे

अपने दर्शकों को कुछ अलग और सधे हुए शोज़ दिखाने का सफर जारी रखते हुए सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर आज रात से शुरू हो रहा है नया शो क्यों उत्थे दिल छोड़ आए। देश के बंटवारे से पहले 1947 पर आधारित यह शो तीन लड़कियों – अमृत, वाश्मा और राधा के सफर की कहानी है। यह कहानी लाहौर पर आधारित है। एक ऐसा शहर जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और प्रगतिशील था, जहां लेखक और शायर पूरे जुनून में जीते थे, जहां लोग अलग-अलग परिवेश का लुत्फ उठाते थे, वहां जवानी की दहलीज़ पर कदम रखने वाली ये तीन लड़कियां अपने सपनों, उम्मीदों, अरमानों और अपने नए-नए प्यार को पूरा करने की हसरत पाले बैठी थीं। लेकिन देश के बदलते भाग्य के साथ उनकी जिंदगी किस तरह बदली? नया आज़ाद भारत उनके लिए क्या नया लेकर आया? इस शो को शशि सुमीत प्रोडक्शन्स ने बनाया है, जो अपनी अलग तरह की कहानियों के लिए जाने जाते हैं। टेलीविजन पर उस दौर को साकार करते हुए क्यों उत्थे दिल छोड़ आए का प्रीमियर आज रात होने जा रहा है और इसका प्रसारण हर सोमवार से शुक्रवार रात बजे सिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर किया जाएगा। इस कहानी में संगीत की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है और जाने-माने म्यूज़िक डायरेक्टर उत्तम सिंह, जिन्होंने गदर : एक प्रेम कथा, पिंजर और कई अन्य फिल्मों में संगीत दिया है, ने इस शो का टाइटल ट्रैक कंपोज़ किया है।

17 साल की अमृत साहनी को लिखने का बहुत शौक है और वो रांझा नाम से गुप्त रूप से लिखती है। प्रेम कहानियां लिखने वाली उस दौर की एक महिला लेखिका होने के नाते उसे हमेशा यह डर सताता है कि कहीं रांझा की उसकी पहचान उजागर ना हो जाए। उसके दिल में रणधीर के प्रति लगाव है, जो एक लोकप्रिय कार्टूनिस्ट हैं और एक मशहूर अखबार के एडिटर इन चीफ हैं, जिसमें रांझा की कहानियां छपती हैं। अमृत दिल से सपने देखती है। उसे एक ऐसे आजाद भारत की उम्मीद है, जहां महिलाओं के लिए कोई डर या बंधन ना हो। लेकिन बंटवारे की कगार पर क्या वो एक ऐसे देश को देखने का सपना पूरा कर पाएगी, जहां महिलाओं के लिए कोई बंधन ना हो? क्या वो अपना पेन नाम उजागर कर पाएगी और आजाद होकर लिख पाएगी? क्या रणधीर के लिए उसका प्यार किसी अंजाम तक पहुंचेगा?

वाश्मा अमृत की करीबी दोस्त और विश्वस्त है। वो एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार की पढ़ी-लिखी लड़की है, जो समाज के नियमों को चुनौती देती है और एक कत्थक डांसर बनने का सपना देखती है। फिर कुछ परिस्थितियां ऐसी आती हैं, जब वाश्मा को यह एहसास होता है कि वो अपने बचपन के दोस्त और अमृत के चचेरे भाई उदय से गहरा प्यार करती है। उधर उदय भारत के लिए हॉकी खेलना चाहता है। वाश्मा और उदय दोनों को ही यह एहसास नहीं हो पाता कि कब उनकी दोस्ती गहरे प्यार में बदल जाती है। लेकिन आज़ादी की दहलीज़ पर खड़े इन दोनों प्रेमियों की प्रेम कहानी आगे क्या मोड़ लेगी?

राधा पढ़ी-लिखी नहीं है और यहां-वहां घूमकर प्रस्तुति देने वाली कलाकार है। वो एक गरीब परिवार से है, लेकिन उसकी शादी अमृत के चाचा से हो जाती है, जो राधा से 20 साल बड़े हैं। राधा बहुत खूबसूरत है और वो एक बड़े परिवार का हिस्सा बनने पर खुश है क्योंकि वो गरीबी से निकलकर अमीरी में जो आ जाती है! उसकी उम्र अमृत और वाश्मा की उम्र जितनी है, लेकिन राधा उन दोनों की तुलना में बिल्कुल अलग है। जहां ये दोनों लड़कियां स्वतंत्र भारत से सशक्तिकरण और खुद की आजादी की उम्मीद लिए बैठी हैं, वहीं राधा का ध्यान सिर्फ एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी बनने पर होता है। अपने नए परिवार में वो किसी की भी जगह लेने की कोशिश नहीं करती। इन हालातों में नया भारत किस तरह राधा का नजरिया बदलेगा?

तो आप भी अमृत, वाश्मा और राधा के इस खूबसूरत सफर और अपनी तकदीर से उनके संघर्ष में शामिल हो जाइए, जहां पूरा भारत एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बना था।

इस शो को सिनेमाई स्वरूप देते हुए इसके मेकर्स ने आजादी और विभाजन से पहले का दौर साकार करने के लिए छोटी से छोटी बातों पर ध्यान दिया। इन किरदारों के लुक्स से लेकर इस शो में इस्तेमाल की गई बोली, सेट और प्रॉप्स तक, हर बात में विश्वसनीयता लाने पर पूरा जोर दिया गया है।

इस शो में ग्रेसी बितिन गोस्वामी, अमृत के रोल में; आंचल वाश्मा के रोल में और प्रणाली राधा के रोल में हैं। एक्टर ज़ान खान को रणधीर का रोल निभाने के लिए चुना गया है जबकि शगुन पांडे उदय के रोल में नजर आएंगे। एक्टर यश टोंक इसमें लाला बृज किशोर का रोल निभा रहे हैं। इसके अलावा कनिका माहेश्वरी, अवतार गिल, गीता त्यागी, वैष्णवी और नसीरुद्दीन भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।

देखिए क्यों उत्थे दिल छोड़ आएशुरू हो रहा है आज रात सेहर सोमवार से शुक्रवार रात बजेसिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर।

टिप्पणियां :

आशीष गोलवलकरहेड – प्रोग्रामिंगसोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन एंड डिजिटल बिजनेस

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन में हम हमेशा ऐसा कॉन्टेंट प्रस्तुत करते हैं, जो ना सिर्फ लीक से हटकर हों, बल्कि दर्शकों को बढ़िया कहानी के जरिए एक खास अनुभव भी कराते हों। क्यों उत्थे दिल छोड़ आए के साथ हम उस दौर को साकार कर रहे हैं, जिसके बारे में हमने सिर्फ किताबों और कहानियों में पढ़ा है। हम यह दिखाना चाहते हैं कि देश के बंटवारे ने जवानी की दहलीज़ पर खड़ी इन तीन लड़कियों की जिंदगी को किस तरह प्रभावित किया और उनका नजरिया बदला। इस कहानी के लिए हम एक बार फिर शशि सुमित प्रोडक्शन्स के साथ जुड़कर बेहद खुशी महसूस कर रहे हैं, जिसमें हमारी समृद्ध संस्कृति दिखाई गई है।

शशि मित्तललेखक एवं प्रोड्यूसरशशि सुमित प्रोडक्शन्स

‘ये उन दिनों की बात है’ की सफलता के बाद इस शो के लिए सोनी टीवी के साथ जुड़कर हमें बेहद खुशी हो रही है। यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि क्यों उत्थे दिल छोड़ आए के साथ हमारी महीनों की रिसर्च और कड़ी मेहनत आखिर रंग ला रही है। यह एक अनोखा शो है, जिसमें तीन जवान लड़कियों की कहानी के जरिए सबसे गहरी और दिल छू लेने वाली भावनाएं प्रस्तुत की जाएंगी। जहां विभाजन ने समाज के हर वर्ग के लोगों पर असर किया था, वहीं इसने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या उस समय देश की स्वतंत्रता ने सचमुच आजादी लाई थी।

ग्रेसी बितिन गोस्वामी (अमृत साहनी के रोल में)

मैंने सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन के शो ‘बंधन’ के साथ अपना करियर शुरू किया था और अब मैं ‘क्यों उत्थे दिल छोड़ आए’ में अमृत के खूबसूरत रोल के जरिए इस चैनल के साथ अपना नाता और मजबूत करने को लेकर उत्साहित हूं। इस शो की बड़ी सादगी भरी कहानी है, लेकिन साथ ही इसमें कुछ ऐसे ज्वलंत मुद्दे भी हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। मुझे एक ऐसी लड़की का रोल निभाने पर गर्व है, जो 1947 में आजादी से पहले के दौर में भी एक खुली सोच रखती थी और जिसने सपने देखने की हिम्मत की थी।

आंचल (वाश्मा के किरदार में)

मैं हमेशा ऐसे रोल की तलाश में रहती हूं, जिसमें महिलाओं की शक्ति दर्शाई जाती है। क्यों उत्थे दिल छोड़ आए इस मामले में एक परफेक्ट शो है। यह पहली बार है, जब मैं एक मुस्लिम लड़की का रोल निभा रही हूं और मुझे एक सही तहज़ीब अपनाने के लिए अपने हिसाब से रिसर्च करनी पड़ी। मैं वाश्मा का जो किरदार निभा रही हूं, वो अपने दौर के हिसाब से काफी हिम्मतवाली, मुखर और जोश से भरी है। शुरुआत में वो एक बहादुर लड़की होती है, और फिर वो जिंदगी के सामने हार मान लेती है लेकिन हकीकत का सामना करते हुए वो एक बार फिर खुद को बदलती है। मेरी राय में यह एक अच्छी मिसाल है। अब मुझे दर्शकों की प्रतिक्रिया का इंतजार है।

प्रणाली (राधा के किरदार में)

राधा का किरदार निभाना बड़ा चैलेंजिंग था। वो भले ही इस शो के बाकी के दो किरदारों – अमृत और वाश्मा की उम्र की हो, लेकिन वो उनसे काफी अलग है। जिस तरह से ‘क्यों उत्थे दिल छोड़ आए’ की कहानी लिखी गई है, वो बहुत इम्प्रेसिव है। आजादी से पहले के दौर को जीना एक सपने की तरह है। एक ऐसी लड़की का रोल निभाना बेहद दिलचस्प है, जो एक सताई हुई जिंदगी जीती है और शुरुआत में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती है, लेकिन अपनी जिंदगी के यही अनुभव ही उसे अपने अधिकारों को लेकर जागरूक बनाते हैं।

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