सुनो प्रेम!!
बाहरी दिखावे से त्रस्त,
जब सताए अवहेलना,
घीर जाओ तुम अवसाद से,
भीड़ जाओ अंदर के किसी दर्द से,
मिलना चाहो भीतर बसे
शुद्ध प्रेम को
चले आना मेरे पास,
पहनना मुझे लिबास की तरह,
और तब,
मैं …तुम्हें समझाऊंगी
आलिंगन का असली मतलब !!!
नीता कंसारा