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इंतेज़ार

रात को सोये अरसे हो गए,
पर अब भी जज़्बात वही रुके हैं।
जानती हूं नहीं है जरूरत हमारी,
पर अभी हम एक आस पे ठहेरे हैं।
गुम हो जाओ कभी राहो में तो आ जाना,
वहीं आपसे छुपकर हम बैठे हैं ।
हर मुलाकात को यू भुला ना देना,
वो हर इक पल में हम बसे हैं ।
अपने आपको कभी अकेला मत समजना,
हर पल हम आपके साथ खडे हैं।
खुद को संभाल कर रखना,
आपको खुश देख कर हम भी कभी मुस्कुरा देते हैं ।
चाहत हो तो आ जाना वापस वहीं,
जहा छोड़ा था वही इंतेज़ार कर रहे हैं।

 

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