उन्हें देखकर जब इबादत करूँगी ।
तभी तख़्त-ए-क़ल्ब राहत करूँगी ।
अभी बैठ माँ-बाप के पास में फ़िर
ख़ुदा से ख़ुदा की शिकायत करूँगी ।
ग़मो दर्द भी मुस्कुराकर चलेंगे ।
ग़मो दर्द से भी शरारत करूँगी ।
अमीरों को फिर सब भिखारी कहेंगें
खुले जब मिरे दर्द-दौलत करूँगी ।
चुभी सिर्फ़ ये ज़िन्दगी है मुझे तो
मैं तो ज़िन्दगी से बग़ावत करूँगी ।
– वैशाली बारड