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एक थप्पड़

अपनी गलतियों का जुरमाना भरना है,
बहती हवा से आज एक थप्पड़ खाना है।

जिस रात मैने अपना दिल दुखाया था,
उस हर रात का मुझे अहसान चुकाना है ।

रातों की नींद को सूत समेत वापस करना है,
जो लम्हे खोए थे उन्हें खुद को लौटाना है।

वो कहां एक कतरा भी रोए थे ?
पर मुझे उन अश्कों को पूरा न्याय दिलाना है ।

दर्शिनी ओझा

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