रोज़ ऊठकर बस इक ही गाना
हाय आज मै क्या बनाऊ खाना..!
सुबह सुबह जब वो रसोईघर में जाती
गीत प्यार के वो गुनगुनाती..!
कितने ही वो ख़्वाब सजाती
जैसे नये नये वो पकवान बनाती
कभी आँटा गूँथती तो कभी सब्जी काटती
कँगन ,बरतन की मधुर आवाज रसोईघर से आती..!
घरवालों को कौन सा स्वाद है भाता
बड़ी चालाकी से सब वो जान लेती..!
हर मसालों की है अपनी लिज्जत
जैसे हर रिश्तों का है अपनापन ..!
पिरोसती है जब वो थाली सजाकर
स्वाद , स्नेह और बस समर्पण नज़र आता ..!
हाथों से क्या वो जादू चलाती अमन
हर निवालों पे बस वाह वाह आती..!
इमरान पठाण “अमन”