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जाने भोलेनाथ की ये रोचक घटनाएं

सनातन धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति का विशेष महत्व है। हर माह में आने वाली शिवरात्रि (Shivratri) तो शिव जी की प्रिय है ही, फाल्गुन की शिवरात्रि का भी अपना विशेष महत्व है। देशभर में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Maa Parvati) की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की

 

 

 

 

जाती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च यानी की आज मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवन शिव और माता पार्वती का शादी हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिर में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। आज महाशिवरात्रि के खास मौके पर जानते हैं आखिर क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि।

 

 

शिवलिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे शिव जी-

 

 

धार्मिक ग्रंथों में उल्आर्टिक्ल है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव शिवलिंग स्वरूप में पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था, जिसका ना तो आदि था और न अंत। शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की प्रयास कर रहे थे लेकिन वे पास नहीं हो सके। वहीं, भगवान विष्णु भी वराह रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।

 

 

द्वादश ज्योतिर्लिंग हुए थे प्रकट-

 

 

शिव पुराण में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन देशभर में 12 द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। इनमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग शामिल हैं। शिव जी के इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। और भक्तिरेट से पूजा-अर्चना की जाती है।

 

 

शिव जी और मां पार्वती का मिलन-

 

महाशिवरात्रि को लेकर शिव पुराण में कई रोचक कथाओं का जिक्र किया गया है। एक कथा के मुताबिक शिव जी को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने मुश्किल तपस्या की थी और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उन्होंने मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस दिन को जरूरी बताया जाता है।

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