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ठंड

‘ठंड आनेवाली है, नया घोंसला बनाना पड़ेगा, लेकिन मैं अकेले कैसे बनाऊ? ” कबूतरी ऐसा सोच रही थी तभी वहाँ से एक कबूतर गुज़रा, वो शायद दूसरे किसी देश से आया था!

‘तुम मेरी घोंसला बनाने में मदद करोंगे?’ कबूतरी ने कबूतर के पास जा के पूछा

उस कबूतर ने हामी भरी और घोंसला बनाने में सहायता की! ज़रा भी ठंड ना लगे और गर्मी का एहसास हो इतना सुंदर और मज़बूत, आरामदायक घोंसला बनाया! कबूतर ने हो सके उतना खाना भी इकठ्ठा किया जिससे जाड़ा आराम से बीते!

घोंसला तैयार हो गया तब कबूतरी ने कबूतर को बुलाया और बोला,
‘तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया, तुमने मेरी मदद की, अब मैं और मेरा साथी कबूतर इसमें साथ रहेंगे! वो बहुत खूबसूरत और काबिल है! अच्छा तुम अब जाओ यहाँ से, मैं उसके आने की तैयारी करती हूँ!

वो कबूतर यह सुन भौंचक्का रह गया! वो कुछ समझ ना पाया! सर्दिया शुरू हो चुकी थी! ठंड बहुत बढ़ गयी थी! अब खाना मिलना भी मुश्किल था! वहाँ से निकला, थोड़े दूर एक वीरान सी जग़ह में जाके बैठा और आगे क्या करें उस सोच में लग गया!
@बुरहान

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