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तूटा हुआ काँच

“बहू बेटा रात को झाडू नहीं लगाते, घर पर कहीं देखा या फिर मम्मीने कुछ सिखाया नहीं क्या ?” सासुमां अपनी नई बहू को डाँटती हुई बोली।
बहू ने तुरंत जवाब देते हुए बोली “मम्मीजी तो क्या हम आज गंदकी में रहेंगे ? रात को झाडू नहीं लगाना ये सब तो पुरानी मान्यताएँ है, हमारे घर तो एसी कंई मान्यताएँ मानी नहीं जाती।” और अचानक ही गलती से आईना तुट गया तब सासूमां बोली अब कुछ अच्छा ही होने वाला है और बहु तुरंत ही काँच के टुकड़ों को ईकठ्ठा करने लगी तब सासूमां ने कहा की हाथ से ईकठ्ठा करना बंध करो और जल्दी से झाडू लगाकर साफ करो वर्ना किसीको काँच लग जाएगा।
बहुने कहा “मम्मीजी तूटे हुए काँच को झाडू से नहीं बल्कि हाथ से ईकठ्ठा करना चाहिए।

संकेत व्यास “ईशारा”

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