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ना मिला

यूँ मुझे कभी किसी पे इख़्तियार ना मिला।
दर-ब-दर गये,कहीं मुझे ये प्यार ना मिला।

वो जहाँ मिला,मिला बुज़ुर्ग सा वो गांव भी
ना मिला तो बस मिरा ही दर-ओ-दार ना मिला।

क्यूँ बशर तलाशते रहे जहाँ में हर जगा?
जब मज़ार पे ख़ुदा भी बार-बार ना मिला।

माँगने गये हिसाब जब सभी वफ़ाओ का
तब मुझे वो प्यार क्या,ज़रा सा ख़्वार ना मिला।

ख़त्म हो गई ये जीस्त ढूँढ़ते हुए अजल
ना मिला तो सिर्फ़ इक ये सू-ए-दार ना मिला।

वैशाली बारड

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