सबसे अधिक तेज़ी से बढ़ने वाला खाद्य पदार्थ, वनस्पति तेल लगातार तेज़ी से आगे निकलती हुई आपूर्ति की तुलना में बढ़ती हुई माँग को पूरा करने की मुश्किल का सामना कर रहा है। जलवायु में होने वाले परिवर्तन के प्रभाव और भू-राजनीतिक घटना मुख्य चुनौतियाँ पैदा करते हैं जिनके लिए भोजन एवं ऊर्जा की सुरक्षा को बाधित करने वाली आपूर्ति की संभावित बाधाओं को कम करने के लिए उत्पादकों के बीच सहयोग और मिल-जुलकर काम करने की आवश्यकता होती है।
द कॉउन्सिल ऑफ़ पाम ऑइल प्रोड्यूसिंग कन्ट्रीज़ (सी.पी.ओ.पी.सी.) और इंडोनेशियन पाम ऑयल एसोसिएशन (जी.ए.पी.के.आई.) ने तत्काल में पेश आने वाली चुनौतियों को संबोधित करने और स्थायित्वपूर्ण वनस्पति तेल प्रदान करने में भविष्य के लचीलेपन को बेहतर बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श करने के लिए द्वितीय स्थायित्वपूर्ण वनस्पति तेल सम्मेलन (द्वितीय एस.वी.ओ.सी.) को सह-आयोजित किया। यह मुंबई, भारत में आयोजित किया जा रहा है, इसलिए हम स्थायित्व, खाद्य और ऊर्जा की सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, लचीलापन और समावेशी खाद्य महत्व की श्रृंखला और वृत्तीय अर्थव्यवस्था पर सहयोग को सशक्त करने के लिए भारत को एक प्रमुख उपभोक्ता देश के तौर पर प्रदर्शित करने हेतु जी20 के साथ संबद्ध होना चाहते हैं।
वनस्पति तेल के क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों ने वनस्पति तेल की आपूर्ति श्रृंखला में पेश आने वाली विश्वस्तरीय चुनौतियों पर चर्चा की और वनस्पति तेल के क्षेत्र में आम हितों के लिए विश्व भर के हितधारकों के बीच भविष्य के वाद-व्यवहार और सहयोग की नींव को मजबूत करने, गठबंधन को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला।
मुख्य उत्पादक देशों (इंडोनेशिया, मलेशिया, भारत, चीन और यूरोपीय संघ) के कृषि एवं उपयोगी वस्तुओं के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (अर्थात, खाद्य एवं कृषि संस्थानों और जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल) और प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधि, के साथ-साथ उत्पादकों द्वारा वनस्पति तेलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई, जिसपर भोजन के रूप में उपभोग और संयुक्त राष्ट्र के स्थायित्व विकास के लक्ष्यों (एस.डी.जी.) को प्राप्त करने सहित विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए मानवता के लिए एक मौलिक संसाधन के रूप में ज़ोर दिया जाना चाहिए।
होंडुरास की कृषि एवं पशुधन मंत्री, लौरा सुआज़ो ने यूरोपीय संघ की आयात नीति में किए गए हाल के समय के परिवर्तनों के कारण होंडुरास के छोटे उत्पादकों और संकर्षण कारख़ानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने होंडुरास के कृषि-खाद्य क्षेत्र के लिए राज्य नीति 2023-2043 शुरू करने की सरकार की योजना की घोषणा की, जिसमें कीटों और बीमारियों के प्रबंधन, भूमि हस्तक्षेपण, आनुवंशिक सुधार और वित्तपोषण सहित कई रणनीतियों का प्रस्ताव दिया गया है।
इंडोनेशिया गणराज्य के व्यापार उप मंत्री, जैरी संबुगा ने आज के सम्मेलन के मुख्य तथ्यों, “एडवांसिंग सस्टेनेबिलिटी” को दोहराया, जिसमें पाम ऑइल और उसके वैश्विक योगदान से संबंधित दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। पहला पाम तेल वनस्पति तेल की स्थायी वैश्विक माँग को पूरा कर सकता है, लेकिन पाम तेल की नकारात्मक छवि का शोषण बंद किया जाना चाहिए। दूसरा, पाम तेल और एस.डी.जी. अलग नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि पाम तेल एस.डी.जी. की प्राप्ति को आधार है।
मलेशिया के वृक्षारोपण एवं उपयोगी वस्तुओं के मंत्रालय के महासचिव, दातो’ हज. मैड ज़ैदी बिन मोहम्मद कार्ली ने इस बात पर बल दिया कि दुनिया की जनसँख्या निरंतर बढ़ रही है और दुनिया पर भोजन और ईंधन की वैश्विक माँगों को पूरा करने का दबाव है। अतः, जिस मुख्य प्रश्न को संबोधित करने की आवश्यकता है वह पाम तेल को बदलने के विषय में नहीं, बल्कि यह स्वीकार करना है कि स्थायित्वपूर्ण पाम तेल इस माँग को कुशलतापूर्वक, आर्थिक रूप से और स्थायी रूप से कैसे पूरा कर सकता है। पाम तेल अपनी अधिक उत्पादकता, अनेक कार्यों में काम आने और खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने की क्षमता के कारण विश्वस्तरीय खाद्य सुरक्षा पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला सिद्ध हो चुका है।
सॉलिडारिडैड एशिया के प्रबंध निदेशक, डॉ. शतद्रु चट्टोपाध्याय ने कहा कि “सॉलिडैरिडैड यूरोपीय संघ से निवेदन करता है कि यूरोपीय संघ के जंगलों की वनोन्मूलन विनियमन के समावेशी कार्यान्वयन के लिए, तीन वस्तुएँ बनाना आवश्यक है: पहला, इंडोनेशिया और मलेशिया के छोटे धारकों से पाम तेल के आयात के एक विशिष्ट प्रतिशत सुनिश्चित करते हुए एक समावेशी कोटा लागू करना।” दूसरा, पूर्व-वित्तपोषण, तकनीकी सहायता और कार्बन क्रेडिट के लिए एक गारंटीशुदा बाज़ार प्रदान करके पाम ऑयल के छोटे धारकों को सहयोग प्रदान करना। तीसरा, ई.यू.डी.आर. के साथ मलेशियन सस्टेनेबल पाम ऑयल (एम.एस.पी.ओ.) और इंडोनेशियन सस्टेनेबल पाम ऑयल (आई.एस.पी.ओ.) जैसे स्थायित्व के राष्ट्रीय अनिवार्य मानकों को संरेखित करने का सहयोग करना”।
सी.पी.ओ.पी.सी. के महासचिव डॉ. रिज़ल अफांदी लुकमान ने लंबी अवधि में वैश्विक वनस्पति तेल के वर्ग का लचीलापन और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए नए और अभिनवकारी दृष्टिकोण, विचार और उपाय प्रदान करने में पाम तेल की भूमिका को याद किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत जैसे प्रमुख उपभोक्ताओं के लिए, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु पाम तेल घरेलू स्तर पर उत्पादित वनस्पति तेलों का पूरक, न कि प्रतिस्पर्धी होता है। बिना किसी संदेह के, पाम तेल नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है, जिसमें 2023 जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान स्थापित किए गए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन को लागू करने का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है।