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भारतीय डाक और यूनाइटेड स्टेट्स पोस्टल सर्विस (यूएसपीएस) ने भारत और अमेरिका के बीच आदान-प्रदान किए जाने वाले डाक नौवहन से संबंधित सीमा शुल्क डेटा के इलेक्ट्रॉनिक विनिमय के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

समझौते से अंतरराष्ट्रीय डाक सामानों के गंतव्य पर पहुंचने से पहले उनका इलेक्ट्रॉनिक डेटा संचारित और हासिल करना संभव हो जाएगा और बदलते वैश्विक डाक ढांचे के अनुरूप डाक सामानों को सीमा शुल्क संबंधी अग्रिम मंजूरी मिलने की व्यवस्था बनाने में मिलेगी। इससे विश्वसनीयता, दृश्यता और सुरक्षा के लिहाज से डाक सेवाओं के प्रदर्शन में भी सुधार होगा।

अमेरिका भारत के लिए शीर्ष निर्यात स्थल है (~ 17%) जो डाक माध्यम के जरिए माल के आदान-प्रदान में भी दिखता है। 2019 में आउटबाउंड ईएमएस का लगभग 20% हिस्सा और भारतीय डाक द्वारा संचारित 30% पत्र और छोटे पैकेट अमेरिका भेजे गए थे, जबकि भारतीय डाक को मिले पार्सल का 60% हिस्सा अमेरिका से आया था। समझौते के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक एडवांस डेटा (ईएडी) का आदान-प्रदान, डाक माध्यम के जरिए भारत के अलग-अलग हिस्सों से अमेरिका को किए जाने वाले निर्यातों पर जोर देते हुए आपसी व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम चालक होगा, गौरतलब है कि अमेरिका भारत के एमएसएमई उत्पादों, रत्न एवं आभूषणों, दवाओं और दूसरे स्थानीय उत्पादों के लिए एक प्रमुख निर्यात स्थल है। इससे निर्यात वस्तुओं की सीमा शुल्क संबंधी मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी लाने से जुड़ी निर्यात उद्योग की एक प्रमुख मांग पूरी होगी।

इस समझौते से पूरा होने वाला सबसे अहम उद्देश्य देश के अलग-अलग हिस्सों से डाक माध्यमों के जरिए छोटे और बड़े निर्यातकों के लिए ‘निर्यात की आसानी’ में मदद करना होगा। यह भारत को दुनिया के लिए निर्यात का गढ़ बनाने में योगदान देगा।

समझौते पर डाक विभाग, भारत सरकार के उप महानिदेशक (अंतर्राष्ट्रीय संबंध और वैश्विक व्यापार) श्री प्रणय शर्मा, ग्लोबल बिजनेस ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स पोस्टल सर्विस (यूएसपीएस) के प्रबंध निदेशक, श्री रॉबर्ट एच. रेंस जूनियर ने हस्ताक्षर किए।

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