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मेरी मोहब्बत

मिले थे हम जिस रात,
वो सर्द मौसम, और वो मायूस हम
इतने बरस उस रात की
जिल्द चढ़ी रहती थी
मानो रोज सुबह होती थी और
होती ही नहीं थी,
तन्हा मैं और मेज़ पे पड़े दो चाय के कप,
जैसे तेरी यादें हर चीज़ से बड़ी थी,
आज फ़िर से वो सुहाना मौसम लौटा है,
आज फ़िर गली में बारिश हुई थी,
लगता है तुम लौटने वाले हो,
हो सकता है…
मेरी मोहब्बत तेरी ज़िद से बड़ी थी

 

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