Jan 4, 2021
486 Views
0 0

ये जनवरी की बारिश

Written by

ठंड में कितना भी आसरा लो लिहाफ का,
कम्बख़त चाय के लिए जां तलबगार रहती है
लिपट जाते तुम भी मेरे सीने से तो अच्छा था,
ये जनवरी की बारिश अक्सर बीमार कर देती है,

सौ जूठ बोलती है मोहब्बत में ये आंखे,
ना जाने कैसे अचानक फ़िर इकरार कर देती है,
लिपट जाते तुम भी मेरे सीने से तो अच्छा था,
ये जनवरी की बारिश अक्सर बीमार कर देती है,

इश्क़ आग है और ये सर्दियों का है मौसम,
तेरे बगैर नर्म धूप सी यादों पे बसर कर लेती है,
लिपट जाते तुम भी मेरे सीने से तो अच्छा था,
ये जनवरी की बारिश अक्सर बीमार कर देती है,

कोई कशिश कोई ख्वाहिश ना रहे बाकी,
इश्क़ के सौ मसले इश्क़ में तकरार कर देती है,
लिपट जाते तुम भी मेरे सीने से तो अच्छा था,
ये जनवरी की बारिश अक्सर बीमार कर देती है,

– नीता कंसारा

Article Categories:
Literature

Leave a Reply