इस दिल की बातें सब खोल दूँ, राज़दार ऐसा हो कोई..
बेपरवाह हो सब बोल दूँ, कि साथी ऐसा हो कोई ||
जो मेरे हर एक राज़ को राज़ रखे,
कभी गलत रस्ते पर मैं चलूँ, तो सही राह पे मुझे ले चले ||
मेरे हर सुख के साथ जो दुःख में भी मेरा संगी हो ,
जिसकी बातें, मेरी हर सुनहरी शाम में रंग भरती हों,
मेरी अनकही बातों को भी जो जान ले,
मेरे ख्वाबों को जो बेतुका न समझे पर अहम मान ले ||
मेरी आंखों की जो नमी को समझे, पर मुझे कमजोर ना माने,
हो ऐसा कोई राज़दार जो मुझे महेफूज़ रखें और
जिंदगी के इस समुन्दर को तय करने के लिए मेरा हाथ थम ले ||
आकांक्षा सक्सेना