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वार्टसिला और एलयूटी यूनिवर्सिटी के संयुक्त अध्ययन में भारत में 2050 तक 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बिजली उत्पादन की लचीली तकनीकों में निवेश पर जोर दिया गया

टेक्नोलॉजी ग्रुप वार्टसिला और फिनलैंड की लैपीनरान्‍टा-लाठी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्‍नोलॉजी (एलयूटी) ने भारत में 2050 तक कार्बन न्यूट्रल पावर सिस्टम की संभावनाओं का पता लगाने के लिए हाल ही में एक अनूठी पावर सिस्‍टम स्‍टडी की है।

फिलहाल भारत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के जिस रास्ते चल रहा है, उसमें कई आयाम शामिल हैं – संवहनीयता, देश भर में  ऊर्जा तक पहुंच और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता को बनाए रखने के साथ सबसे जरूरी तेज आर्थिक विकास की दर को आगे बढ़ाना और उसे बनाए रखना है। एलयूटी यूनिवर्सिटी और वार्टसिला के संयुक्त अध्ययन ने वर्ष 2050 तक भारत में कम लागत और कार्बन न्यूट्रल बिजली प्रणाली की अहमियत पर बल दिया है। अध्ययन में बेहतरीन नीतिगत परिदृश्य में बिजली प्रणाली के विकास का आकलन किया गया है, जिसमें इस क्षेत्र में संवहनीय ऊर्जा और लचीली तकनीकों की मदद से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को वर्ष 2050 तक शून्य करने का जिक्र है।

अध्ययन पर अपनी बात रखते हुए वार्टसिला एनर्जी के निदेशक (ग्रोथ एंड डिवलपमेंट, मध्य पूर्व और एशिया) पीटर होक्कलिंग ने कहा, ‘वार्टसिला में काम करने वाले पावर सिस्टम मॉडलिंग एक्सपर्ट्स की टीम ने लगातार लंबी अवधि की दिशा में होने वाले एनर्जी ट्रांजिशन के पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभावों का अध्ययन करने की दिशा में काम किया है। साथ ही उन्होंने दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अधिक हिस्सेदारी वाले बिजली प्रणाली की आवश्यकता का अध्ययन किया है। यह अध्ययन 100 फीसदी नवीकरणीय या अक्षय ऊर्जा स्रोत वाले बिजली प्रणाली को बनाए जाने के लक्ष्य से संबंधित है जो बिजली प्रणाली में आइसीई (आंतरिक दहन इंजन) और भंडारण प्रौद्योगिकियों (बैटरी और सिंथेटिक गैस) को एकीकृत कर पंप स्टोरेज हाइड्रो प्लांट्स के बाद की स्थिति को समझने पर केंद्रित है। अध्ययन बताता है कि अक्षय ऊर्जा के स्रोतों वाले मिश्रित बिजली प्रणाली की तरफ दिशा में पूरी तरह से स्थानांतरित होने की स्थिति में भारत को आर्थिक और पर्यावरणीय तौर पर फायदा मिलेगा, जिसमें लचीली तकनीक और प्रौद्योगिकी से प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ेगी।‘

 

एलयूटी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर (सोलर एनर्जी) डॉ. क्रिश्चियन ब्रेयर ने वार्टसिला के साथ सहयोग के बारे में कहा, ‘“हमें वार्टसिला के साथ साझेदारी और इस रणनीतिक भागीदारी में हमारी तरफ से विशेषज्ञता का योगदान दिए जाने को लेकर गर्व है। यह अनुसंधान भारत में वर्ष 2025 तक आर्थिक रूप से व्यावहारिक कार्बन तटस्थ बिजली प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करता है। अध्ययन के निष्कर्षों ने स्पष्ट रूप से वार्टसिला के 100% नवीकरणीय ऊर्जा भविष्य के लक्ष्य को प्रतिध्वनित किया है। वार्टसिला के साथ हमारे काम को संयोजित कर, यह शोध निश्चित रूप से आंखें खोलने वाला है।’’

अध्ययन के मुख्य बिंदुओं में शामिल है :

चार्ट: भारत में बिजली उत्पादन (TWh) तकनीक (बाएं) के जरिए और 2015-2050 के बीच होने वाले एनर्जी ट्रांजिशन संबंधित हिस्सेदारी (दाहिने)

यह अध्ययन अक्षय ऊर्जा क्षमताओं और लचीली तकनीकों जैसे सिस्‍टम की विश्‍वसनीयता बनाए रखने के लिए स्टोरेज और आईसीई में तत्काल और लगातार अतिरिक्त निवेश पर बल देता है। इसके अतिरिक्त यह अध्ययन क्षेत्रीय और अंतरराज्यीय ग्रिडों को मजबूत करने के महत्व को भी रेखांकित करता है। साफ शब्दों में कहा जाए तो 2050 तक कार्बन न्यूट्रल की स्थिति हासिल करने के लिए जमीन पर काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। इसके लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नीति और नियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करना और जरूरत के वक्त सिस्टम ऑपरेटर द्वारा सही तरीके की सहायक सेवाओं की खरीद के लिए एक संतुलित बाजार को स्थापित करना शामिल है।

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