शारदीय नवरात्रि पर्व हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। देवी शक्ति की उपासना का यह पर्व 17 अक्तूबर से शुरू हो रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र पर्व शुरू होता है जो नवमी तिथि तक चलता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होती है और भक्त नौ दिनों तक माता रानी का व्रत करते हैं। नवरात्रि के पहले दिन जहां शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने का विधान है तो वहीं आखिरी दिन कन्या पूजन करके व्रत खोला जाता है। आइए जानते हैं घर पर किस शुभ मुहुर्त में करें घटस्थापना, क्या इसकी संपूर्ण विधि :
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्तूबर 17, 2020 को 01:00 एएम
प्रतिपदा तिथि समाप्त- अक्तूबर 17, 2020 को 09:08 पीएम
घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक
अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा
कलश स्थापना की विधि
- सबसे पहले एक पात्र लें। उस पात्र में मिट्टी बिछाएं। फिर पात्र में रखी मिट्टी पर जौ के बीज डालकर उसके ऊपर मिट्टी डालें।
- अब इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें। अब एक कलश लें। इस पर स्वस्तिक बनाएं।
- फिर मौली या कलावा बांधें। इसके बाद कलश को गंगाजल और शुद्ध जल से भरें।
- इसमें साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें। साथ ही इत्र, पंचरत्न और सिक्का भी डालें।
- इसके मुंह के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं। कलश के ढक्कन पर चावल डालें।
- देवी का ध्यान करते हुए कलश का ढक्कन लगाएं। अब एक नारियल लेकर उस पर कलावा बांधें।
- कुमकुम से नारियल पर तिलक लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें। नारियल को पूर्व दिशा में रखें।
- कलश पर स्वास्तिक का चिह्न जरूर बनाएं।
कलश स्थापना के लिए जरूरी सामग्री
लाल रंग का आसन, कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगारदानी आदि