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शैक्षणिक सामग्री को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदलने के लिए आईएसएलआरटीसी और एनसीईआरटी के बीच ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर

आज एनसीआईआरटी के 60वें स्थापना दिवस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत वर्चुअली (वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए) शामिल हुए।

इस अवसर पर बधिर बच्चों के लिए सभी तरह की शैक्षणिक सामग्री को उनके समझने योग्य प्रारूप जैसे- भारतीय सांकेतिक भाषा के रूप में उपलब्ध कराने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र-आईएसएलआरटीसी (डीईपीडब्ल्यूडी का राष्ट्रीय संस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय) और एनसीईआरटी (शिक्षा मंत्रालय का राष्ट्रीय संस्थान) ने एक ऐतिहासिक समझौता-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

इस एमओयू पर केंद्रीय मंत्रियों, डीईपीडब्ल्यूडी की सचिव श्रीमती शकुंतला डॉले गैमलिन और शिक्षा मंत्रालय की सचिव (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता) श्रीमती अनीता करवाल की वर्चुअल मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। प्रबोध सेठ, संयुक्त सचिव, डीईपीडब्ल्यूडी और निदेशक, आईएसएलआरटीसी और प्रो. हृषिकेश सेनपति, निदेशक, एनसीईआरटी ने संबंधित संस्थानों की तरफ से एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम के दौरान ‘‘निष्ठा’’ प्रशिक्षण के ऑनलाइन फॉर्मेट (प्रारूप) को भी जारी किया गया।

अपने संबोधन में श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एनसीईआरटी को उसके 60वें स्थापना दिवस की बधाई दी और कहा कि एनसीईआरटी की शैक्षिक सामग्री को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदलने करने के लिए एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर से भारतीय सांकेतिक भाषा का शैक्षणिक मानकीकरण सुनिश्चित होता है, जैसा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में भी कहा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत डीईपीडब्लूडी ने देश के दिव्यांगजनों के कल्याण और उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किये हैं और इनकी उपलब्धियों पर कई नए रिकॉर्ड भी बने हैं। निश्चित रूप से यह एमओयू हमारे देश में श्रवण बाधित (बधिर) बच्चों को सशक्त बनाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई शिक्षा नीति, 2020 समावेशी है और हमारे देश में परिवर्तन लाएगी।

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