हम ये तो नहीं कहते कि हम तुझसे बड़े हैं
लेकिन ये बहुत है कि तिरे साथ खड़े हैं
वो आज सर करके दिखाने पर अड़े है
हम हैं कि अभी कल ही के पैरों पे खड़े हैं
ये बात तो उस बाग़ के हक़ में नहीं जाती
कुछ फूल भी काँटों की हिमायत में खड़े हैं
रुसवाई के इक डर को भी वह जीत न पाया
हम जिसके लिए सारे ज़माने से लड़े हैं
हूँ ख़ाक मगर मेरी मुहब्बत की बदौलत
ये चाँद सितारे तिरे कदमों में पड़े हैं
दुनिया से ‘वसीम’ आई निभाने की जहाँ बात
हम ख़ुद से अकेले में बहुत देर लड़े हैं
वसीम बरेलवी