भारतीय वन सेवा की 250 से ज्यादा महिला अधिकारियों और लगभग 5000 महिला फ्रंटलाइन कर्मियों के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने महिला वन अधिकारियों और फ्रंटलाइन स्टाफ की संख्या में लगातार वृद्धि पर प्रसन्नता जताई। उन्होंने कहा कि महिला अधिकारियों के साथ-साथ नीचे के रैंक की महिला कर्मियों में जबरदस्त क्षमता है, वे योग्यता और अपेक्षित कौशल के साथ-साथ प्रभावी संवाद, ईमानदारी और सेवा के प्रति समर्पण भाव के साथ अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करती हैं।
श्री जावड़ेकर ने वर्चुअल कार्यक्रम में ‘द ग्रीन क्वींस ऑफ इंडिया- ए नेशंस प्राइड’ शीर्षक से एक ई-बुक भी जारी की, जो केस स्टडीज, सर्वोत्तम अभ्यासों और महिला अधिकारियों द्वारा साझा किए गए जीवन के अनुभवों का एक संकलन है। यह सच्चे अर्थों में एक सामूहिक रचना कही जा सकती है। श्री जावड़ेकर ने उम्मीद जताई कि ई-बुक युवाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करेगी और देशभर की अनेकों युवा महिलाओं को भी प्रेरित करेगी जो एक वन अधिकारी के रूप में प्रकृति के साथ रहने और काम करने की इच्छा रखती हैं।
महिला आईएफएस अधिकारी वानिकी के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देती रही हैं। यह पुस्तक भारतीय वन सेवा महिला अधिकारियों के छोटे पर मजबूत कैडर और उनके बहुमुखी कौशल का सम्मान है, जो वे सेवा में लाती हैं, अब केस स्टडी के जरिए उसे सबके सामने लाया गया है।
1865 में जब इंपीरियल फॉरेस्ट सर्विस बनाई गई थी, उस समय से भारतीय वन सेवा ने अपने कामकाज और संरचना में एक बड़ा बदलाव देखा है। इसमें एक मील का पत्थर 1980 में पहली बार 3 महिला अधिकारियों का शामिल होना था। तब से महिलाओं ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार महिला आईएफएस अधिकारियों का कैडर मजबूत हुआ है और आज 250 से अधिक महिलाएं सेवारत हैं।
महिला अधिकारियों का प्रदर्शन अनुकरणीय है क्योंकि वे वन सेवा में शारीरिक रूप से जरूरत के हिसाब से और पुरुष प्रधान क्षेत्र में खुद को साबित करते हुए कठिन चुनौतियों का सामना करती हैं।