किसी के भी खर्राटे की आवाज जब कानों तक पहुंचती है तो बहुत परेशानी होती है। परेशानी उसको होती है जो खर्राटे लेने वाले के बगल में सो रहा हो। ऐसे में शाँति की नींद भी पूरी नहीं हो पाती। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी की बात वहां आती है। जब खर्राटे आपको ही आते हो। क्या आप जानते हैं कि जो लोग खर्राटे लेते हैं, उनका गुस्सा भी ज्यादा बढ़ जाता है और साथ ही वह चिड़चिड़ा भी हो जाते हैं। इसके साथ-साथ खर्राटे लेने वाले जाहीरियों में हाई कोलेस्ट्रॉल के साथ-साथ दिल से जुड़ी बीमारियां होने की भी संभावना बनी रहती है। यदि आप भी खर्राटे लेते हैं और इस समस्या को दूर करना चाहते हैं तो उसके लिए आप योगा कर सकते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ योगासन जिसको करके आपको खर्राटों से छुटकारा पा सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम- भ्रामरी प्राणायाम दिमाग की टेंशन को रिलीज करने में आपकी सहायता करता है। इससे आपका माइंड डिटॉक्स होता है लेकिन इसका सबसे ज्यादा बड़ा फायदा ब्लड प्रेशर को कम करने में होता है। साथ ही साथ ही ब्लड सरकुलेशन को भी सही करता है। इस तरह भ्रामरी प्राणायाम खर्राटों के कई कारण जैसे कि इस प्रेस गड़बड़, ब्लड, सरकुलेशन, मोटापा आदि को कम करता है जिससे आपके खर्राटे रोकने में सहायता मिलती है। इस प्राणायाम को करने के लिए आप एक खामोश स्थान पर बैठ जाएं और अपनी आंखों को बंद कर ले। अपनी तर्जनी को अपने कानों पर रखें। इसके बाद सांस अंरेट ले और सांस छोड़ते हुए अपनी उंगलियों से कार्टिलेज को दबाए। इसके बाद बार-बार सांस लें और छोड़ें लगभग 6 से 7 बार इसी पैटर्न को दोहराए।
उज्जायी प्राणायाम- उज्जयी प्राणायाम नाक को साफ करता है और कफ को भी साफ करता है। ऐसे नेसल पैसेज साफ हो जाता है और खर्राटे रोकने में सहायता मिलती है। साथी के पेट को भी स्वस्थ रखता है और शरीर को अंरेट से स्वस्थ बनाता है। इस प्राणायाम को करने के लिए मुंह बंद करें और एक छोटी सांस छोड़ें और फिर एक लंबी सांस लें। अब पूरी तरह से भरपूर सांस लें। आपको ध्यान रखना है कि बैठे समय रीड सिर और गर्दन सीधी रेखा में आ जाए। फिर सांसों को रोकें और फिर करें। रोज इसे आधे घंटे तक करना आपके खर्राटों को दूर करने के लिए अच्छा हो सकता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम- नाड़ी शोधन प्राणायाम एक प्रकार की ब्रीथिंग अभ्यास होती है। यह आपके तनाव को कम करता है और साथ ही साथ कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन में भी सुधार करता है। यह फेफड़ों के काम के लिए बहुत ही अच्छा होता है और ह्रदय गति को भी बेहतर बनाता है। इस प्राणायाम को करने के लिए अपनी रीड की हड्डी को सीधा करें और कंधे को आराम देकर बैठे अपने बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखें और हथेलियों को आसमान की ओर खुली रखें। दाहिने हाथ की तर्जनी और मध्यमा को वहां के बीच में अनामिका और छोटी उंगली को बाएं नथुने पर और अंगूठे को दाहिने नथुने पर रखें। अब अनामिका और छोटी अंगुली का उपयोग बाईं नाक के छेद को खोलने या बंद करने के लिए करें। अंगूठे का प्रयोग दाहिने नाक के छेद को बंद करने और खोलने के लिए इस्तेमाल करें। अपने अंगूठे को दाएं नथुने पर दबाएं और बाएं नथुने से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। अब बाएं नथुने से सांस ले और फिर बाएं नथुने को अनामिका और छोटी अंगुली से धीरे से दबाएं। दाहिने नाक के छेद से सांस अंरेट लें और फिर बाएं से सांस छोड़ें। अब आपने नाड़ी शोधन प्राणायाम का एक चक्र पूरा कर लिया है। इससे कई बार दोहराएं।
धनुरासन- आपके खर्राटों को रोकने में सहायता करता है। साथ ही धनुरासन से चेस्ट पर दबाव पड़ता है और सांस लेने में सहायता मिलती है। यह सांस को नियमित करने में सहायता करता है और गहरी सांस लेने और छोड़ने की अनुमति देने के लिए मांसपेशियों को खोलता है। इस आसन को करने के लिए आप चटाई पर पेट के बल लेटें। इसके बाद अपने सभी पैरों की अंगुलियों को फर्श में दबाएं और फिर अपने घुटनों को मोड़कर और पैरों की अंगुलियों को सक्रिय रखें। अपने टखनों के बाहरी किनारों को अपने हाथों से पकड़ें और अपने पैरों को मजबूती से मोड़ लें। इसके बाद सांस ले और सांस छोड़ें। इस तरह से योगासन को दोहराएं