Oct 12, 2020
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पंछी की पुकार

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आंधी आई बहुत जोर से ।
फिर भी खड़ी रही बड़े होश से ।

डाले टूट गई बड़ी आसानी से ।
पर एक बार ना झुकी इस आंधी से ।

टूट गया घोसला उसका बड़ी तेजी से ।
देखती रही वो आपनी मासूम आंखो से ।

घोसलो के साथ फुट गए अंडे जोर से ।
अब ना रह पाई चिड़िया अपने होश से ।

हमने देखा उसे अपनी खिड़की से ।
हुआ है दुःख हमें बडी जोर से ।

बुला रहे है हम उसे बडी दिल से ।
पर वो नही गुजरेगी इस घर से ।

कर रही है ची.. ची अपने मुह से ।
देख कर अंडे बडी आशा से ।

पर हम क्या कहे उस चिड़िया से ।
की घर मे कैसे लाए पेड़ इतनी जल्दी से ।

कहा से बनाए ये घोसला इतनी खूबसूरती से ।
केसे जोड़े अंडे को इतनी खूबसूरती से ।

किससे बात करेगी ये चिड़िया ऐसे अपने दिल से ।
हम भी लगाएंगे एक पेड़ उस चिड़िया के कहने से ।

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Literature

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