‘अब्बा, हम माफ़ी क्यों मांगते है? इंसान ने पहली बार माफ़ी मांगी थी! ऐसा क्या हुआ था की इंसान ने माफ़ी मांगी थी!’
‘बहुत वक़्त पहले की बात, दुनिया में इंसान की जिंदगी शुरू हुई थी! तब सब अच्छा था | कोई दुख दर्द नहीं था | एक दिन वहाँ बेबसी और लाचारी नाम की बीमारी फैली | जिसको वो होने लगी वो दर्द से तड़पने लगा | ऐसा लगता जैसे पहाड़ो को तोड़े, नदियों का रुख मोड़ दे लेकिन कुछ कर पाने की हालत में नहीं रहा | मायूस हुआ और एक दिन मायूसी इतनी बढ़ गयी के जान निकल जाए | आखरी सांस आयी और तब उसके मुँह से निकल गया ‘मैं माफ़ी तलब करता हूँ | मुझे माफ़ कर दो’ |
इतने साल बीत गए लेकिन अभी भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, कोई मरहम नहीं है | बस बेबसी और लाचारी में डूबा इंसान जब कुछ नहीं कर पाता है तब वो माफ़ी मांग लेता है |
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Literature