Feb 16, 2021
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यादों का मकान

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पूछीए मत जनाब, आज भी तकलीफे जवान है,
मेरे इस दिल मै तो उसकी यादों का मकान है !

अक्सर भूल रहे है लोग इस रूह की अहमियत,
आज इश्क़ की गलियां हवस से भरी दुकान है !

रो लेते है इन सुहानी रातो में हम यादों के साथ,
यादों में भी सुकून दे ऐसी ये एक लौती शराब है !

अगर किसी को मुंह पे सच बोलूं, तो मै हूं खडूस,
बुरा मत लगाना दोस्त, मेरी तो ऐसी ही जबान है !

जितनी नफरत करनी है कर लेना इस फकीर से,
मेरा दिल तो आज भी अनुभूति से भरी खदान है !

दीप गुर्जर

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Literature

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