Jan 31, 2021
549 Views
0 0

पहली बारिश का मज़ा ले जाऊँ

Written by

और बाज़ार से क्या ले जाऊँ
पहली बारिश का मज़ा ले जाऊँ

कुछ तो सौग़ात दूँ घर वालों को
रात आँखों में सजा ले जाऊँ

घर में सामाँ तो हो दिलचस्पी का
हादिसा कोई उठा ले जाऊँ

इक दिया देर से जलता होगा
साथ थोड़ी सी हवा ले जाऊँ

क्यूँ भटकता हूँ ग़लत राहों में
ख़्वाब में उस का पता ले जाऊँ

रोज़ कहता है हवा का झोंका
आ तुझे दूर उड़ा ले जाऊँ

घर से जाता हूँ तो काम आएँगे
एक दो अश्क बचा ले जाऊँ

आज फिर मुझ से कहा दरिया ने
क्या इरादा है बहा ले जाऊँ

जेब में कुछ तो रहेगा ‘अल्वी’
लाओ तुम सब की दुआ ले जाऊँ

मोहम्मद अल्वी

Article Tags:
Article Categories:
Literature

Leave a Reply