Apr 26, 2022
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GITAM में छात्रों को संबोधित करते हुए दिल्ली के माननीय उपमुख्यमंत्री, श्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘हमने राजनीति के क्षेत्र में शिक्षा को प्राथमिकता बना दिया है।’

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दिल्ली के माननीय उपमुख्यमंत्री, श्री मनीष सिसोदिया आज GITAM (मानित विश्वविद्यालय) के वाईज़ैग कैंपस में उपस्थित थे, जहाँ उन्होंने चेंज-मेकर्स सीरीज़ के एक हिस्से के रूप में छात्रों, शिक्षाविदों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों को संबोधित किया। इस विशेष सीरीज़ के तहत देश-विदेश के सफल व्यक्ति GITAM के परिसरों में आकर अपना गहन अनुभव साझा करते हैं, तथा शिक्षकों एवं छात्रों के लिए कक्षा के बाहर सिखाने व सीखने का अवसर उपलब्ध कराते हैं।

श्री सिसोदिया ने शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली सरकार की विभिन्न पहलों, इन पहलों के पीछे के मिशन और विज़न, बचपन से बड़े होने के वर्षों से जुड़े अपने अनुभवों, सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीति में आगमन, लोकतंत्र में सभी की भागीदारी के तरीकों को अपनाने तथा इसी तरह के अन्य विषयों के बारे में विस्तार से बात की।

उन्होंने शिक्षा के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा, “पिछले सात सालों में दिल्ली की जनता ने हमें सुशासन पर काम करने का मौका दिया है और मैं ये तो नहीं कह सकता कि सब कुछ बदल गया है, लेकिन इतना जरूर कह सकता हूँ कि एक शुरुआत हुई है। दिल्ली में हमने दो स्तरों पर काम किया है – पहला शिक्षा प्रणाली की समस्याओं का हल निकालना, तथा दूसरा शिक्षा के माध्यम से समाज की समस्याओं को दूर करना।”

उन्होंने आगे कहा, “हमने राजनीति के क्षेत्र में शिक्षा को प्राथमिकता बना दिया है। हमारे देश के राजनेताओं ने शिक्षकों कभी भी अहमियत नहीं दी है, क्योंकि शिक्षा में निवेश के परिणाम तुरंत नहीं मिलते हैं। चुनाव से ठीक पहले सड़कों के निर्माण, या अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की बातें चुनाव के दौरान समर्थन की गारंटी बन सकती हैं, लेकिन शिक्षा के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। लेकिन दिल्ली में अपने काम के जरिए हमने इस कहानी को बदल दिया है। अब राजनेता चुनाव से पहले शिक्षा की बात करते हैं।”

बदलाव कैसे लाया गया, इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “हमने शिक्षा के लिए आवंटित बजट को बढ़ाया और हमने स्कूलों की बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए इस पैसे का उपयोग किया – और यह कार्य निरंतर जारी है। हमने शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की है। हमने अपने सरकारी स्कूल के शिक्षकों को हार्वर्ड और कोलंबिया जैसे विश्वविद्यालयों तथा सिंगापुर और फिनलैंड जैसे देशों में भेजने की पहल की। हम चाहते हैं कि हमारे शिक्षक छात्रों को विश्व-स्तर की शिक्षा प्रदान करें, लेकिन ऐसा तभी संभव है जब उन्हें यह मालूम हो कि बाकी दुनिया शिक्षा के क्षेत्र में क्या कर रही है। हमने हमेशा इस बात पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है कि कक्षा में पढ़ाई के बेहतर नतीजे सामने आएँ।”

शिक्षा की मदद से समाज की समस्याओं को दूर करने के बारे में उन्होंने कहा, “शिक्षा सिर्फ छात्रों को हुनरमंद बनाने के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि सोच में बदलाव लाने के लिए भी शिक्षा बेहद आवश्यक है। आज खुशहाल सोच पूरी तरह से गायब है, अपना उद्यम शुरू करने की सोच गायब है, साथ ही यह सोच भी गायब है कि हम सभी एक ही देश के नागरिक हैं और हमें एक टीम के रूप में मिलकर काम करना चाहिए। इसलिए, हमने भविष्य के नागरिकों में ऐसी सोच विकसित करने के लिए तीन पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है। केवल ज्यादा अंक प्राप्त करना ही काफी नहीं है, बल्कि उन्नति करने के लिए सही सोच का होना भी बेहद जरूरी है।”

लोकतंत्र में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए आप (आम आदमी पार्टी) के प्रयासों के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए, उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि दिल्ली सरकार की बजट तैयार करने की प्रक्रिया में किस तरह सभी वर्गों की जरूरतों को शामिल किया जाता है, और इसमें व्यापारियों एवं बाजार संघों जैसे विभिन्न भागीदारों से प्राप्त विचारों को ध्यान में रखा जाता है।

इस कार्यक्रम में श्री मनीष सिसोदिया की उपस्थिति के बारे में बात करते हुए, श्री एम. श्री भरत, अध्यक्ष, GITAM (मानित विश्वविद्यालय), ने कहा, “आज हमारे बीच श्री सिसोदिया की उपस्थिति हम सभी के लिए बेहद प्रसन्नता की बात है, जिन्होंने हमारे प्राध्यापकों तथा छात्रों को अपने-अपने विषयों एवं विशेषज्ञता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा दी। उनके जीवन की छोटी-छोटी कहानियों से हम सभी को, विशेष रूप से छात्रों को मार्गदर्शन मिलेगा।”

श्री सिसोदिया ने पत्रकारिता से RTI कार्यकर्ता बनने और फिर राजनीति में आगमन के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘RTI को और मजबूत बनाया जाना चाहिए, क्योंकि मैं मानता हूँ कि जब पारदर्शिता होगी तभी सही काम संभव होगा। इसकी वजह यह है कि RTI जैसा अधिनियम सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह होने के लिए मजबूर करता है। शासन करने वालों को हमेशा इस बात से डरना चाहिए कि जनता उन पर, उनके कार्यों पर तथा उद्देश्यों पर सवाल उठा सकती है। अच्छी एवं जिम्मेदार शासन व्यवस्था के लिए यह बेहद जरूरी है।”

 

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