अब पैराप्लेजिक के मरीज आसानी से चल-फिर सकेंगे और रोजाना की दिनचर्या में भाग ले सकेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि SVNIT ने पैराप्लेजिक रोगियों के लिए एक पावर एक्सोस्केलेटन बनाया है। SVNIT के प्रभारी निदेशक डॉ. आर वी राव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. हर्षित दवे के अनुमोदन से छात्र परम भावसार, मनन गोहिल, हर्ष काकड़िया, सन्नी बगडे सहित सूरत जीएमसी के छात्र डॉ. प्रतीक पटेल ने मिलकर पावर लोअर बॉडी एक्सोस्केलेटन बनाया है।
सूरत GMC के विद्यार्थी डॉक्टर प्रतीक पटेल ने बताया की ये एक्सोस्केलेटन अगर कोई भी पैराप्लेजिक मरीज पहनता है तो उसके बॉडी के दूसरे मसल्स से इनपुट लेता है और काम करता है उदहारण के तौर पर बैक के मसल्स का उपयोग किया जा सकता है या फिर हाथ के मदद से भी किया जा सकता है जिसके लिए मरीज को मूवमेंट के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। मैंने इस प्रोजेक्ट में पेशेंट के लिए ये कैसे उपयुक्त रहेगी ताकि उसे अंदरूनी कोई दिक्कत न हो इसे इस्तेमाल करने में।
पावर एक्सोस्केलेटन रु 2 लाख की बनती है लेकिन जब बात बाजार की आती है तो रु. कीमत 50 हजार के अंदर होगी। पावर एक्सोस्केलेटन पैराप्लेजिक रोगी के पूरे शरीर के वजन को सीधे जमीन पर स्थानांतरित करता है। ताकि पैराप्लेजिक का मरीज आसानी से चल सके। इतना ही नहीं वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह एक घंटे में पांच किलोमीटर चल सकता है। पैराप्लेजिक रोगी का अर्थ है निचले अंगों का पक्षाघात, जो जन्म से या दुर्घटनावश भी हो सकता है।