अदरक, इलायची और ज्यादा शक्कर ऊपर से डाल कर चाहत भी लाए, काश वो थोड़ा […]
अक्सर तुम्हें खोने के ख़्याल से इतना डर जाती हूं मैं, लिपट कर तुम्हारी यादों […]
ठंड में कितना भी आसरा लो लिहाफ का, कम्बख़त चाय के लिए जां तलबगार रहती […]
वो मिल जाए मुझे इतवार सा, फ़ुरसत में किया जाए ऐसे इंतजार सा। गर्म एहसासों […]
प्रेम : कहां रहती हो तुम?? मैं : रेगिस्तान में !! सुलगती रेत के साथ […]
तुम्हारा ख़त मिला, बहुत सुंदर लिखा है पर तुम ख़त क्यों लिखती हो हर बार??? […]