इस बार तो
बरगद पे कितनी मोलियाँ बांधी,
दरगाह पर चादरें भी चढ़ाई
दर दर भटकी उस एक के लिए,
और ना जाने कितनी जगह
दुआ में सर झुकाया,
और कहीं हाथ फैलाया
लेकिन
वो हांसिल भी हुआ तो
उस शख़्स को
जिसने उसे कभी नहीं मांगा,
बस, अब की बार
मुझे भी किस्मत से
वो ही शख़्स बनाना !!
नीता कंसारा
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Neeta KansaraArticle Categories:
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