आंधी आई बहुत जोर से ।
फिर भी खड़ी रही बड़े होश से ।
डाले टूट गई बड़ी आसानी से ।
पर एक बार ना झुकी इस आंधी से ।
टूट गया घोसला उसका बड़ी तेजी से ।
देखती रही वो आपनी मासूम आंखो से ।
घोसलो के साथ फुट गए अंडे जोर से ।
अब ना रह पाई चिड़िया अपने होश से ।
हमने देखा उसे अपनी खिड़की से ।
हुआ है दुःख हमें बडी जोर से ।
बुला रहे है हम उसे बडी दिल से ।
पर वो नही गुजरेगी इस घर से ।
कर रही है ची.. ची अपने मुह से ।
देख कर अंडे बडी आशा से ।
पर हम क्या कहे उस चिड़िया से ।
की घर मे कैसे लाए पेड़ इतनी जल्दी से ।
कहा से बनाए ये घोसला इतनी खूबसूरती से ।
केसे जोड़े अंडे को इतनी खूबसूरती से ।
किससे बात करेगी ये चिड़िया ऐसे अपने दिल से ।
हम भी लगाएंगे एक पेड़ उस चिड़िया के कहने से ।
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दिशा पटेलArticle Categories:
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