अपनी गलतियों का जुरमाना भरना है, बहती हवा से आज एक थप्पड़ खाना है। जिस […]
क्यों खोल रही हो तुम वो संदूक , जिस में अनचाही यादें पड़ी हुई है। […]
हम तिरंगा दिल में लेकर चलते है, त्योहार पर सिर्फ फहराने को यह नहीं है, […]
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