Mar 21, 2021
365 Views
0 0

तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है

Written by
तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है के जहाँ मिल गया

एक भटके हुए राही को कारवाँ मिल गया


 
बैठो न दूर हमसे, देखो ख़फ़ा न हो

क़िस्मत से मिल गए हो, मिल के जुदा न हो

मेरी क्या ख़ता है होता है ये भी

के ज़मीं से भी कभी आसमाँ मिल गया
 


तुम क्या जानो तुम क्या हो, एक सुरीला नग़मा हो

भीगी रातों में मस्ती, तपते दिन में साया हो

अब जो आ गए हो, जाने ना दूँगा

के मुझे एक हँसी दिलरुबा मिल गया

 

तुम भी थे खोए-खोए, मैं भी बुझा-बुझा

था अजनबी ज़माना, अपना कोई न था

दिल को जो मिल गया है तेरा सहारा

एक नई ज़िन्दगी का निशाँ मिल गया

 
 
फ़िल्म : हँसते ज़ख़्म-1973
 
कैफ़ी आज़मी
 
Article Tags:
Article Categories:
Literature

Leave a Reply