Mar 22, 2024
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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने नीली अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) पर अंतर-मंत्रालयी संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आज (22 मार्च, 2024) नई दिल्ली में ब्लू इकोनॉमी पाथवेज स्टडी रिपोर्ट की स्थिति पर एक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में विश्व बैंक, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, नीति आयोग, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय जैसे विभिन्न संबंधित मंत्रालयों तथा विभिन्न राज्य और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संगठनों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस कार्यशाला के दौरान, इस रिपोर्ट को तैयार करने में प्रत्येक संबंधित मंत्रालय की सहयोगी भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया।

 

 

 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने तकनीकी अध्ययन करने और ‘भारत की नीली अर्थव्यवस्था: भारत में संसाधन-कुशल, समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए मार्ग’ शीर्षक से एक मौलिक रिपोर्ट तैयार करने के लिए विश्व बैंक के साथ एक ज्ञान भागीदार के रूप में काम किया है। रिपोर्ट आउटपुट में नीली अर्थव्यवस्था कार्यान्वयन, ओशन अकाउंटिंग फ्रेमवर्क, संस्थागत सुदृढ़ीकरण और नीली अर्थव्यवस्था पॉलिसी फ्रेमवर्क को लागू करने की दिशा में अभिनव वित्त तंत्र में वैश्विक सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों से संबंधित क्षेत्रों को शामिल करने की उम्मीद है।

 

 

 

आज, समुद्री अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास और कल्याण का अगला गुणक होने की प्रतिज्ञा करती है, बशर्ते ऐसी रणनीति अपनाई जाए, जो स्थिरता और सामाजिक-आर्थिक कल्याण को केंद्र में रखे। इसका उद्देश्य तटीय समुदायों के जीवन में काफी सुधार करना, हमारे समुद्री इको‍सिस्‍टम को संरक्षित करना और हमारे समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा बनाए रखना है। नीली अर्थव्यवस्था एक समग्र पैकेज में नीली अर्थव्यवस्था से संबंधित सभी मामलों यानी रणनीतिक, वैज्ञानिक, राजनीतिक, पर्यावरण और आर्थिक हित पर भारत के भीतर अत्याधुनिक और भविष्यवादी वैज्ञानिक व तकनीकी अनुसंधान का एक पूरा इकोसिस्‍टम उत्पन्न करेगी।

 

 

 

भारत की एक अनूठी समुद्री स्थिति है। इसकी 7,517 किलोमीटर लंबी तटरेखा और दो मिलियन वर्ग किमी से अधिक का विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) सजीव और निर्जीव संसाधनों से समृद्ध है। तटीय अर्थव्यवस्था 4 मिलियन से अधिक मछुआरों और अन्य तटीय समुदायों का भी जीवनयापन करती है। इन विशाल समुद्री हितों के साथ, भारत में नीली अर्थव्यवस्था का देश की आर्थिक वृद्धि के साथ महत्वपूर्ण संबंध है। महासागर संसाधनों का कुशल एवं सतत उपयोग और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए रोजगार और सकल मूल्य संवर्धन में तेजी लाने के उद्देश्य से महासागर से संबंधित क्षमताओं एवं कौशल को बढ़ावा देना है।

 

 

जैसा कि भारत का लक्ष्य उच्च विकास वाली अर्थव्यवस्था बनना है तथा साथ ही साथ अपने तत्काल और विस्तारित पड़ोस में भू-सामरिक माहौल को आकार देने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाना है, ऐसा करने के लिए परिणामी समुद्री भूमिका निभाने की भारत की क्षमता एक महत्वपूर्ण कारक होगी। समुद्री संसाधनों (सजीव और निर्जीव) की क्षमता का पता नहीं लगाया गया है और इसकी अधिकतम क्षमता का दोहन नहीं किया गया है। यह क्षमता न केवल एक मजबूत समुद्री शक्ति से हासिल होगी, बल्कि यह एक मजबूत समुद्री अर्थव्यवस्था भी होगी, जो बंदरगाहों, तटीय बुनियादी ढांचे, शिपिंग, मछली पकड़ने, समुद्री व्यापार, अपतटीय ऊर्जा संसाधनों, पर्यटन, समुद्र के नीचे पाइपलाइनों, संचार केबलों, नवीकरणीय ऊर्जा और समुद्री तलीय संसाधनों पर टिकी होती है।

 

 

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Science

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