विस्तार रूस और यूक्रेन के बीच जंग तेज हो चुकी है. हिंदुस्तान समेत पूरे विश्व में इसका प्रभाव दिख रहा और यह कारण है कि सभी राष्ट्रों की निगाहें इस समय यूक्रेन के दशा पर गढ़ी हुई हैं. युद्ध के पांचवे दिन सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस वार्ता के दौरान यूक्रेन से व्यापार संबंध पर पड़ने प्रभाव पर चिंता जाहीर की. केन्द्रीय वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा कि गवर्नमेंट हिंदुस्तान के विराष्ट्र व्यापार, खासकर कृषि क्षेत्र के निर्यात पर रूस-यूक्रेन संघर्ष के असर से चिंतित है. एडवरटाईजमेंट if(typeof is mobile !=undefined && is mobile()){ googletag.cmd.push(function() { googletag.display(div-gpt-ad-1514643645465-2); });}
गवर्नमेंट समस्या को लेकर गंभीर
तमिलनाडु में व्यापार और उद्योग जगत के नेताओं के साथ बजट के बाद की वार्ता में, सीतारमण ने कहा कि गवर्नमेंट रूस-यूक्रेन क्षेत्र में उभरती स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है और राष्ट्र के व्यापार पर संघर्ष के असर का आकलन कर रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक इस युद्ध से यूक्रेन को होने वाले हमारे तत्काल इनकमात और निर्यात पर पड़ने वाले प्रभाव का संबंध है, हम इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं. यूक्रेन के दशा हिंदुस्तान में खाद्ध ऑयलों समेत कई अन्य क्षेत्रों को असरित करेंगे. इसके अलावा हम इस बात को लेकर भी गंभीर हैं कि इस संघर्ष से हमारे निर्यातकों, विशेष रूप से रूस और यूक्रेन के किसान क्षेत्र का क्या होगा. उन्होंने कहा कि इन दोनों मुद्दों पर हम गंभीरता से विचार-विमर्श कर रहे हें.
आवश्यक वस्तुों पर पड़ेगा प्रभाव
निर्मला सीतारमण ने कहा कि गवर्नमेंट पहले से ही आपात स्थिति का सामना कर रही है और इस संकट काल में मुझे विभिन्न संबंधित मंत्रालयों के माध्यम से पूर्ण मूल्यांकन करना होगा और उसके बाद ही उस पर साफ टिप्पणी की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि, हम इस मामले को अच्छी तरह से समझ चुके हैं क्योंकि इसका प्रभाव आने वाली आवश्यक वस्तुों पर पड़ने वाला है. वित्त मंत्री ने आगे कहा कि हिंदुस्तान गंभीरता के साथ रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण निर्यात और इनकमात पर पड़ने वाले असर पर गौर कर रहा है और इसके लिए इनकमात विधेयक पर भी विचार किया जा रहा है.
कच्चे ऑयल की मूल्यें आसमान पर
उल्लेखनीय है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले गुरुवार को यूक्रेन सीमा पर सैन्य अभियानों की घोषणा की थी. इसके बाद हमले के फैसले को गलत करार देते हुए पुतिन को रोकने के लिए पश्चिमी राष्ट्रों ने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इन सबके चलते कच्चे ऑयल की मूल्य आठ वर्ष में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं और शेयर मार्केटों में हाहाकार मच गया था. गुरुवार को कच्चे ऑयल की मूल्य 105 $ प्रति बैरल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी.