Nov 3, 2023
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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने भारत में सीमेंट क्षेत्र पर बाजार अध्ययन शुरू किया

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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) सीमेंट क्षेत्र पर अखिल भारतीय बाजार अध्ययन शुरू कर रहा है।

 

सीमेंट दरअसल अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों या सेक्‍टरों जैसे कि आवास और अवसंरचना में एक महत्वपूर्ण कच्‍चा माल है। इन सेक्‍टरों का कई अन्य उद्योगों के साथ जाना-माना फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज यानी कच्‍चे माल या तैयार माल जैसा जुड़ाव है, अत: इनमें अर्थव्यवस्था के समग्र विकास की दिशा पर व्‍यापक प्रभाव डालने की अपार क्षमता है।

 

कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए सीमेंट की विशेष महत्ता को देखते हुए सुव्यवस्थित और प्रतिस्पर्धी सीमेंट बाजार अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान में रखते हुए और सीमेंट बाजार की ढांचागत विशेषताओं, जिस वजह से मिलीभगत की आशंका रहती है, को देखते हुए यह बाजार अध्ययन दरअसल भारत के सभी क्षेत्रों में सीमेंट बाजार की कार्यप्रणाली और उसमें प्रतिस्पर्धा की स्थिति की व्यापक समझ विकसित करने के लिए एक तथ्य-खोज कवायद होगा।

 

यह बाजार अध्ययन आयोग के समक्ष सीमेंट क्षेत्र से संबंधित किसी भी मामले की कार्यवाही से स्वतंत्र है। इस अध्ययन के उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

 

समस्‍त क्षेत्रों में सीमेंट सेक्‍टर में विकसित होते बाजार स्‍वरूप पर गौर करना जिसमें अन्य बातों के अलावा बाजार संकेन्द्रण, प्रवेश करना/कारोबार से बाहर निकलना और समेकन भी शामिल हैं।

बाज़ार के रुझानों का अध्ययन करना जिसमें अन्य बातों के अलावा सीमेंट की कीमत, लागत, उत्पादन, क्षमता, क्षमता उपयोग और लाभप्रदता में रुझान/घट-बढ़ शामिल हैं।

सीमेंट मूल्य में घट-बढ़ के निर्धारकों के गहन विश्लेषण सहित व्यापार और गैर-व्यापार क्षेत्रों में सीमेंट मूल्य निर्धारण को समझना।

इस सेक्‍टर की समग्र समझ के लिए सभी संबंधित हितधारकों से संपर्क करना और प्रतिस्पर्धा में आने वाली बाधाओं, यदि कोई हो, की पहचान करना।

सीमेंट क्षेत्र में आयोग के लिए प्रवर्तन और हिमायत संबंधी प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करना।

यह अध्ययन दरअसल द्वितीयक अनुसंधान और हितधारकों से परामर्श का संयोजन होगा। द्वितीयक और प्राथमिक स्रोतों से गुणात्मक एवं मात्रात्मक जानकारियां एकत्रित की जाएंगी। आयोग द्वारा तैयार किया गया यह अध्ययन इस आयोग के ही एक अध्ययन दल द्वारा किया जाएगा जिसमें इस उद्देश्य के लिए नियुक्त की जाने वाली एक बाहरी एजेंसी से सहायता ली जाएगी। यह अध्ययन दल पूरे देश में संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श करेगा।

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