बारिश का मौसम चल रहा था, में और मेरे पापा दोनो बारिश के बारे मे गहरी चर्चा कर रहे थे । उसमें मल्हार राग गानेवाले ताना-रीरी और दीपक राग गानेवाले तानसेनजी की बात निकल आईं और मेरे poet दिमाग से शायरी निकल आईं वो इस poem के Last में लिखीं हुई है। फिर सोचा की इतनी अच्छी शायरी निकल आईं हैं तो इसी को नजर में रखके कुछ हमारी जिंदगी के बारे मे छोटी सी कविता लिखु और इसी तरह से ये मेरे शायराना दिमाग से जो भी सबको feel होता होगा उस पर ये मेरी कविता तैयार हो गईं जो अब में आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।
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⚫ कहीं ना कहीं किसी ने
मल्हार राग तो छेड़ा होगा,
तभी तो इस ज़मीं ने आसमां से
बारिश को तेडा होगा।
⚫ दीपक राग को दोहराने की
अब कोई आवश्यकता ही नहीं,
कीसी को आगे बढते देख
किसी का दिल तो जला ही होगा।
(प्यार के इस दरबार में
“तानसेन” जैसे दीपक राग गानेवाले और
“ताना-रीरी” जैसे मल्हार राग गानेवाले को
बुलाने की अब कोई जरूरत ही नहीं,
यहाँ प्यार में एक-दूसरे को जलाते और
धोखा देकर आंखों से –
पानी बरसाने वाले को
देखा ही होगा)
⚫ “ये तो हुई प्यार भरे
दिल वाले लोगो की बात
अब असली दुनिया में आ जाते है”
⚫ जमाने में हमारे है बहोत से
तानसेन है खड़े,
वो ही किसीको आगे बढाके
खुद ही जलते हैं वो बडे।
⚫ किसी का देखा धन दौलत और
बडा रुआब,
जलाते हैं दिल को वो दिखाके
झूठे ख्वाब।
⚫ जरूरत है यहाँ पर एक एसे
मल्हार राग की,
जो मिटाएं जलन
ये झूठे ख्वाब की।
⚫ कुछ एसे लगावो से भरा हो
जो मल्हार राग,
जो मिटाएं सारे जलन के दाग,
⚫ प्यार, हुंफ से भरा हो ये राग,
जो मिटाएं जलन और सारे झूठे ख्वाब।
⏭ जब बीच में प्यार की दो लाइन आ गई थी तो उसपर छोटा सा ये शायराना अंदाज में प्यार भरा दर्द निकला…
“कभी ना कभी किसीने
मल्हार राग तो छेड़ा होगा,
तभी तो इन आंखों में
पानी का बसेरा हुआ होगा।”
– संकेत व्यास (ईशारा)