ज़रा-सी आहट होती है तो दिल सोचता है कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये […]
कल अहमदाबाद में अतरंगी ग्रुप द्वारा एक कविता लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। जिसमें […]
ये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे काम की नहीं किसको सुनाऊँ हाल दिल-ए-बेक़रार का बुझता हुआ […]
तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है के जहाँ मिल गया एक भटके […]
तुम बिन जीवन कैसा जीवन फूल खिलें तो दिल मुरझाए आग लगे जब बरसे सावन […]
रोज़ ऊठकर बस इक ही गाना हाय आज मै क्या बनाऊ खाना..! सुबह सुबह जब […]
आदमी आदमी से मिलता है दिल मगर कम किसी से मिलता है भूल जाता हूँ […]
रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगे फिर वहीं लौट के आ जाता हूँ बार-हा तोड़ […]
मेरी दुनिया में तुम आईं, क्या-क्या अपने साथ लिए तन की चाँदी मन का सोना, […]
कुछ दिल ने कहा, कुछ भी नहीं, कुछ दिल ने सुना, कुछ भी नहीं ऐसी […]