अपनी गलतियों का जुरमाना भरना है, बहती हवा से आज एक थप्पड़ खाना है। जिस […]
बस अभी अभी ही तो दुनिया देखने की हिम्मत की थी, नाजुक से दिल को […]
क्यों खोल रही हो तुम वो संदूक , जिस में अनचाही यादें पड़ी हुई है। […]
अब और क्या तेरा बीमार बाप देगा तुझे बस एक दुआ कि ख़ुदा तुझको कामयाब […]
आज सोचा तो आँसू भर आए मुद्दतें हो गईं मुस्कुराए हर कदम पर उधर मुड़ […]
प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा ग़म किसी दिल में सही ग़म को मिटाना […]
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न […]
कितनी दफा बोला था कितनी दफा कहा था पर तुमने मेरी एक न सुनी मेरी […]
अक्स कितने उतर गए मुझ में फिर न जाने किधर गए मुझ में मैं ने […]