Nov 15, 2020
475 Views
0 0

हंसता हुवा चहेरा

Written by

हंसता हुवा चहेरा तेरा खीलते गुलाब सा
हटता नहीं आखों से ये मंजर शबाब सा

अब कैसे निगाहों को बचायेंगे कहो हुजूर
छाया है नशा बनके जो सरपे शराब सा

युं तो जहान में हैं कई चहेरे हसीन तर
मिलता नहीं है हमको रुत्बा जनाब सा

अब क्या बताएं कैसे तनहा कटे हयात
रोके है आगे बढने से हमें जल्वा ये ख्वाब सा

मासूम हो गया बडा तकदीर का करम
जिसके बगेर अब लगे जीना अजाब सा

मासूम मोडासवी

Article Categories:
Literature

Leave a Reply