‘चांद जलने लगा’ में तारा की भूमिका निभा रहीं कनिका मान कहती हैं, “दिवाली की मेरे दिल में खास जगह है, और इससे खुशी, उत्सव और परिवार व दोस्तों के साथ बिताए समय की यादें ताज़ा हो जाती हैं। जब मैं छोटी थी, तो उत्सव की शुरुआत आशीर्वाद के लिए एक स्थानीय मंदिर में जाने से होती थी। हर साल, मेरा परिवार धनतेरस पर पूजा करता है और इसके साथ आने वाले उत्सव के दिनों के लिए माहौल तैयार किया जाता है। मुझे इस उत्सव की छोटी-छोटी बातों में खुशी मिलती है। इस साल, मेरी दिवाली का जश्न चांद जलने लगा के सेट पर होगा, जहां मैं अपनी शानदार कास्ट के साथ रहूंगी। बढ़िया भोजन, एकजुटता और सौहार्द मेरे उत्सव का मुख्य आकर्षण होंगे। मेरी कामना है कि आने वाला साल हम सभी के लिए समृद्धि और खुशियां लेकर आए। दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं!”
‘शिव शक्ति – तप त्याग तांडव’ में गंगा की भूमिका निभा रहीं प्राची बंसल कहती हैं, “दिवाली साल का खास समय है, जो हमारे जीवन में कुछ नया शुरू करने के लिए बहुत सारी सकारात्मकता और ऊर्जा लाती है। यह सब उन लोगों के साथ समय बिताने के बारे में है जिन्हें आप सबसे अधिक प्यार करते हैं। इस साल, मेरा परिवार मुझसे मिलने मुंबई आएगा, और मैं बहुत रोमांचित हूं। हमने अच्छी तरह से तैयार होकर पूजा के लिए इकट्ठा होने की योजना बनाई है, जो हमारी दिवाली परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम स्वादिष्ट मिठाइयां खाएंगे और उपहारों का आदान-प्रदान करेंगे। यह रात आतिशबाज़ी, मूवी टाइम और स्वादिष्ट भोजन से जीवंत हो जाएगी। सभी को दिवाली की शुभकामनाएं!”
‘डोरी’ में कैलाशी देवी की भूमिका निभा रहीं सुधा चंद्रन कहती हैं, “बचपन में, मेरे पिता ने मुझे दूसरों की मदद करने का महत्व सिखाया था। हर दिवाली में, मैं अनाथालय जाकर वहां के बच्चों के साथ यह त्योहार मनाने की परंपरा का पालन करती हूं। मेरे ससुराल में, हम देवी लक्ष्मी की पूजा करके त्योहार मनाते हैं। मेरे लिए, इस त्योहार का मतलब है मुझे मिले आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करना। मैं सभी को दिवाली की शुभकामनाएं देती हूं, और एक समृद्ध व शांतिपूर्ण दुनिया की प्रार्थना करती हूं।”
‘डोरी’ में गंगा प्रसाद की भूमिका निभा रहे अमर उपाध्याय कहते हैं, “मैं अपने परिवार के साथ समय बिताने वाला हूं। त्योहार से पहले, परिवार के सभी सदस्य घर को पुन: डेकोरेट करना, नए कपड़े खरीदना, और रिश्तेदारों के साथ उपहार एक्सचेंज करना शुरू कर देते हैं। मैं उन स्वादिष्ट स्नैक्स को चखने के लिए उत्सुक हूं, जो बचपन से ही मेरे पसंदीदा रहे हैं। एक परंपरा के रूप में, हम ज्वेलरी खरीदेंगे और साथ में खाना खाएंगे। मेरे बच्चों चेनाब और आर्यमन को यह त्योहार मनाते देखने से ज्यादा संतुष्टिदायक कुछ भी नहीं है। उनके ज़रिये अपने बचपन की दिवाली को फिर से जीना अद्भुत है।”
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