Aug 8, 2023
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प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह को संबोधित किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह को संबोधित किया और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित ई-पोर्टल ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार’ का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और वहां मौजूद बुनकरों से बातचीत की।

 

 

 

 

 

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि भारत मंडपम के उद्घाटन से पहले प्रगति मैदान में आयोजित प्रदर्शनी में प्रदर्शक अपने उत्पादों का प्रदर्शन तंबू में किया करते थे। भव्य भारत मंडपम में प्रधानमंत्री ने भारत के हथकरघा उद्योग के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि पुराने और नए का संगम आज के नए भारत को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा, ” आज का भारत सिर्फ ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ ही नहीं, बल्कि इसे दुनिया भर में ले जाने के लिए वैश्विक मंच भी प्रदान कर रहा है।” कार्यक्रम की शुरुआत से पहले बुनकरों के साथ हुई अपनी बातचीत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने आज के भव्य समारोह में देश भर से विभिन्न हथकरघा समूहों की उपस्थिति की ओर इंगित किया और उनका स्वागत किया।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने कहा, “अगस्त ‘क्रांति’ का महीना है।” उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि यह भारत की आजादी के लिए किए गए हर बलिदान को याद करने का समय है। स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल विदेश में बने कपड़ों के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि भारत की स्वतंत्र अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणास्रोत भी रहा। उन्होंने कहा कि यह भारत के बुनकरों को लोगों से जोड़ने का आंदोलन था और सरकार द्वारा इस दिन का चयन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में करने के पीछे यही प्रेरणा थी। प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि पिछले कुछ वर्षों से हथकरघा उद्योग के साथ-साथ बुनकरों की प्रगति के लिए भी अभूतपूर्व काम किया गया है। श्री मोदी ने कहा, “देश में स्वदेशी को लेकर नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है।” उन्होंने बुनकरों की उपलब्धियों के माध्यम से भारत को हासिल सफलता पर गर्व व्यक्त किया।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रकट हो रही परिधानों की विविधता को रेखांकित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति की पहचान उसके द्वारा धारण किए गए कपड़ों से होती है। उन्होंने कहा कि यह विभिन्न क्षेत्रों के परिधानों के माध्यम से भारत की विविधता का जश्न मनाने का भी अवसर है। दूर-दराज के इलाकों के जनजातीय समुदायों से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों में रहने वाले लोगों, तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से लेकर रेगिस्तान में रहने वाले लोगों के साथ ही साथ भारतीय बाजारों में उपलब्ध कपड़ों की विविधता की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के पास कपड़ों का सुंदर इंद्रधनुष विद्यमान है।” उन्होंने भारत के विविध परिधानों को सूचीबद्ध और संकलित करने की आवश्यकता के आग्रह को याद करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष’ के शुभारंभ के साथ यह फलीभूत हो गया।

 

 

 

 

पिछली शताब्दियों में भारत के कपड़ा उद्योग के मजबूत स्थिति में होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि आजादी के बाद इसे मजबूत बनाने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा, “यहां तक कि खादी को भी मरणासन्न स्थिति में छोड़ दिया गया था।” उन्होंने कहा कि खादी पहनने वालों को हेय दृष्टि से देखा जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद सरकार इस परिस्थिति और इसके पीछे की सोच को बदलने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के शुरुआती चरण के दौरान देशवासियों से खादी उत्पाद खरीदने के अपने आग्रह को याद किया। इसके परिणामस्वरूप पिछले 9 वर्षों में खादी के उत्पादन में 3 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि खादी कपड़ों की बिक्री में 5 गुना वृद्धि हुई है और विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है। श्री मोदी ने अपनी पेरिस यात्रा के दौरान एक बड़े फैशन ब्रांड के सीईओ से मुलाकात को भी याद किया, जिन्होंने उन्हें खादी और भारतीय हथकरघा के प्रति बढ़ते आकर्षण के बारे में जानकारी दी थी।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने बताया कि नौ साल पहले खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार सिर्फ 25-30 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन आज यह एक लाख तीस हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का हो गया है। उन्होंने कहा कि गांवों और जनजातीय इलाकों में हथकरघा क्षेत्र से जुड़े लोगों तक अतिरिक्त 1 लाख करोड़ रुपये पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री ने नीति आयोग की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें पिछले 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोगों के गरीबी के चंगुल से बाहर निकलने की बात कही गई है और उन्होंने इसमें बढ़ते कारोबार का योगदान होने की बात स्वीकार की। श्री मोदी ने कहा, ” वोकल फॉर लोकल की भावना के साथ देशवासी स्वदेशी उत्पादों को हाथों हाथ खरीद रहे हैं और यह एक जन आंदोलन बन गया है।” उन्होंने रक्षाबंधन, गणेश उत्सव, दशहरा और दीपावली के आगामी त्योहारों में एक बार फिर से बुनकरों और हस्तशिल्पियों की सहायता करने के लिए स्वदेशी के संकल्प को दोहराने की आवश्यकता पर बल दिया।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कपड़ा क्षेत्र के लिए लागू की गई योजनाएं सामाजिक न्याय का प्रमुख साधन बन रही हैं, क्योंकि देश भर के गांवों और कस्बों में लाखों लोग हथकरघा के काम में जुटे हुए हैं। इनमें से अधिकांश लोगों के दलित, पिछड़े, पसमांदा और जनजातीय समुदाय से होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयासों से आय में वृद्धि के साथ-साथ बड़ी संख्या में रोजगार के साधनों में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत योजनाओं का उदाहरण दिया और कहा कि ऐसे अभियानों से उन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा, “मुफ़्त राशन, पक्का मकान, 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज- यह मोदी की गारंटी है।” उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि वर्तमान सरकार ने बुनियादी सुविधाओं के लिए बुनकर समुदाय के दशकों लंबे इंतजार को समाप्त कर दिया है।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार न केवल कपड़ा क्षेत्र से जुड़ी परंपराओं को जीवित रखने की दिशा में प्रयासरत है, बल्कि दुनिया को एक नए अवतार में आकर्षित करने का भी प्रयास करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसीलिए सरकार इस काम से जुड़े लोगों की शिक्षा, प्रशिक्षण और आय पर जोर दे रही है तथा बुनकरों और हस्तशिल्पियों के बच्चों की आकांक्षाओं को पंख दे रही है। उन्होंने बुनकरों के बच्चों के कौशल प्रशिक्षण के लिए कपड़ा संस्थानों में 2 लाख रुपये तक की छात्रवृत्ति का उल्लेख किया। श्री मोदी ने बताया कि पिछले 9 वर्षों में 600 से अधिक हथकरघा क्लस्टर विकसित किए गए हैं और हजारों बुनकरों को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा, “सरकार बुनकरों के काम को आसान बनाने, उनकी उत्पादकता बढ़ाने तथा गुणवत्ता और डिजाइन में सुधार लाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।” प्रधानमंत्री इस बात का भी उल्लेख किया कि उन्हें कंप्यूटर संचालित पंचिंग मशीनें भी प्रदान की जा रही हैं जो तेज गति से नए डिजाइन बनाने में सक्षम बनाती हैं। उन्होंने कहा, “मोटर चालित मशीनों से ताना-बाना बुनना भी आसान होता जा रहा है। ऐसे अनेक उपकरण, ऐसी अनेक मशीनें बुनकरों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।” उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि सरकार हथकरघा बुनकरों को रियायती दरों पर धागे जैसा कच्चा माल उपलब्ध करा रही है और कच्चे माल के परिवहन की लागत भी वहन कर रही है। प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना का भी जिक्र करते हुए कहा कि अब बुनकरों के लिए बिना गारंटी के ऋण प्राप्त करना संभव हो गया है।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने गुजरात के बुनकरों के साथ अपने संबंधों को याद किया और पूरे काशी क्षेत्र, जो उनका निर्वाचन क्षेत्र है, के हथकरघा उद्योग के योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बुनकरों को अपने उत्पाद बेचने के क्रम में आने वाली आपूर्ति श्रृंखला और विपणन की चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि सरकार भारत मंडपम की तरह पूरे देश में प्रदर्शनियां आयोजित करके हस्तनिर्मित उत्पादों के विपणन पर विशेष ध्यान दे रही हैं। श्री मोदी ने बताया कि निशुल्क स्टॉल के साथ दैनिक भत्ता भी दिया जाता है। प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स और भारत के युवाओं की भी सराहना की, जिन्होंने कुटीर उद्योगों और हथकरघा द्वारा बनाए गए उत्पादों के लिए तकनीकों और पैटर्न के साथ-साथ विपणन के तौर-तरीकों में नवाचार प्रस्तुत किया है और कहा कि हथकरघा का भविष्य उज्ज्वल है। ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ऐसे उत्पादों की बिक्री के लिए देश के रेलवे स्टेशनों पर विशेष स्टॉल भी निर्मित किये जा रहे हैं।” उन्होंने सरकार द्वारा राज्यों की हर राजधानी में विकसित किए जा रहे एकता मॉल का भी उल्लेख किया, जो राज्य और जिले के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देगा। इससे हथकरघा क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ होगा। श्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में बने एकता मॉल का भी जिक्र किया, जो पर्यटकों को भारत की एकता का अनुभव करने के साथ एक ही छत के नीचे किसी भी राज्य के उत्पाद खरीदने का अवसर प्रदान करता है।

 

 

 

 

प्रधानमंत्री द्वारा अपनी विदेश यात्राओं के दौरान गणमान्य व्यक्तियों को दिए जाने वाले विभिन्न उपहारों के बारे में, उन्होंने कहा कि इन उपहारों की न केवल उनके द्वारा सराहना की जाती है, बल्कि जब उन्हें इनके बनाने वालों के बारे में जानकारी मिलती है तो उन पर गहरा प्रभाव भी पड़ता है।

 

 

 

 

जैम पोर्टल या सरकारी ई-मार्केटप्लेस के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे छोटा कारीगर, शिल्पकार या बुनकर भी अपना उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकता है। उन्होंने बताया कि हथकरघा और हस्तशिल्प से संबंधित लगभग 1.75 लाख संगठन जैम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि हथकरघा क्षेत्र के हमारे भाइयों और बहनों को डिजिटल इंडिया का लाभ मिले।”

 

 

 

 

प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार अपने बुनकरों को दुनिया का सबसे बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के लिए एक स्पष्ट रणनीति के साथ काम कर रही है।” उन्होंने कहा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत के एमएसएमई, बुनकरों, कारीगरों और किसानों के उत्पादों को दुनिया भर के बाजारों तक पहुंचाने के लिए आगे आ रही हैं। उन्होंने ऐसी विभिन्न कंपनियों के प्रमुख व्यक्तियों के साथ हुई सीधी चर्चा पर प्रकाश डाला, जिनके पास दुनिया भर में बड़े स्टोर, खुदरा आपूर्ति श्रृंखला, ऑनलाइन प्लेटफार्म और दुकानें हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों ने अब भारत के स्थानीय उत्पादों को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “चाहे मोटे अनाज हों या हथकरघा उत्पाद, ये बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इन उत्पादों को दुनिया भर के बाजारों में ले जाएंगी।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्पाद भारत में बनाए जाएंगे और इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग किया जाएगा।

 

 

 

 

वस्त्र उद्योग और फैशन जगत से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दुनिया की शीर्ष-3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ अपनी सोच और काम के दायरे को विस्तार देने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत के हथकरघा, खादी और वस्त्र क्षेत्र को विश्व चैंपियन बनाने के लिए ‘सबका प्रयास’ की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, “चाहे श्रमिक हो, बुनकर हो, डिजाइनर हो या उद्योग हो, हर किसी को समर्पित प्रयास करना होगा।” उन्होंने बुनकरों के कौशल को पैमाने और प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। भारत में नव-मध्यम वर्ग के उदय पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक उत्पाद के लिए एक विशाल युवा उपभोक्ता वर्ग बन रहा है और यह वस्त्र कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। इसलिए स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और उसमें निवेश करना भी इन कंपनियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने भारत के बाहर तैयार कपड़े को आयात करने के दृष्टिकोण की निंदा की। उन्होंने स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करने और इसे भविष्य के लिए तैयार करने पर जोर दिया और कहा कि क्षेत्र से जुड़ी बड़ी कंपनियों को यह बहाना नहीं बनाना चाहिए कि इतने कम समय में यह कैसे संभव होगा। उन्होंने कहा,“यदि हम भविष्य में लाभ उठाना चाहते हैं तो हमें वर्तमान में स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला में निवेश करना होगा। यही विकसित भारत के निर्माण और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने का तरीका है।” उन्होंने आगे कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का स्वदेशी से जुड़ा सपना इस रास्ते पर चलकर ही पूरा होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “जो लोग आत्मनिर्भर भारत के सपने बुनते हैं और ‘मेक इन इंडिया’ को ताकत देते हैं, वे खादी को सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि एक हथियार मानते हैं।”

 

 

 

 

9 अगस्त की प्रासंगिकता के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तारीख – पूज्य महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत के सबसे बड़े आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन की गवाह रही है, जिन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने का संदेश दिया था। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने कहा, अंग्रेजों को भारत छोड़ना होगा। प्रधानमंत्री ने आज की समय की मांग को रेखांकित किया क्योंकि देश इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों, जो विकसित भारत के निर्माण के संकल्प में बाधा बन गए हैं, को भगाने के लिए उसी मंत्र का उपयोग किया जा सकता है जिसका उपयोग कभी अंग्रेजों को भगाने किया गया था। श्री मोदी ने कहा, “पूरा भारत एक स्वर में कह रहा है – भ्रष्टाचार, वंशवाद, तुष्टिकरण भारत छोड़ो।” उन्होंने रेखांकित किया कि भारत में ये बुराइयां देश के लिए एक बड़ी चुनौती हैं और विश्वास जताया कि देश इन बुराइयों को पराजित कर देगा। उन्होंने कहा, “देश विजयी होगा, भारत के लोग विजयी होंगे।”

 

 

 

 

संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने उन महिलाओं के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया, जिन्होंने वर्षों से तिरंगे की बुनाई के लिए खुद को समर्पित किया है। उन्होंने नागरिकों से तिरंगा फहराने और एक बार फिर से ‘हर घर तिरंगा’ मनाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “जब छतों पर तिरंगा फहराया जाता है, तो यह हमारे भीतर भी फहरता है।”

 

 

 

 

इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण तातु राणे व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

 

 

 

पृष्ठभूमि

 

 

 

 

प्रधानमंत्री देश की कला और शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को जीवित रखने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन देने के दृढ़ समर्थक रहे हैं। इस दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, सरकार ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाना प्रारंभ किया। इस तरह का पहला उत्सव 7 अगस्त 2015 को आयोजित किया गया था। स्वदेशी आंदोलन के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में इस तारीख को चुना गया था। स्वदेशी आंदोलन 7 अगस्त 1905 को शुरू हुआ था और इसने स्वदेशी उद्योगों, विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था।

 

 

 

 

इस साल 9वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष के ई-पोर्टल को लॉन्च किया। यह कपड़ा और शिल्प का एक भंडार है, जिसे राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) द्वारा विकसित किया गया है।

 

कार्यक्रम में 3000 से अधिक हथकरघा और खादी बुनकर, कारीगर और कपड़ा और एमएसएमई क्षेत्रों के हितधारक भाग लिया। यह पूरे भारत में हथकरघा समूहों, निफ्ट परिसरों, बुनकर सेवा केंद्रों, भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान परिसरों, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम, हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद, केवी

आईसी संस्थानों और विभिन्न राज्य हथकरघा विभागों को एक साथ लाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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