पूछीए मत जनाब, आज भी तकलीफे जवान है,
मेरे इस दिल मै तो उसकी यादों का मकान है !
अक्सर भूल रहे है लोग इस रूह की अहमियत,
आज इश्क़ की गलियां हवस से भरी दुकान है !
रो लेते है इन सुहानी रातो में हम यादों के साथ,
यादों में भी सुकून दे ऐसी ये एक लौती शराब है !
अगर किसी को मुंह पे सच बोलूं, तो मै हूं खडूस,
बुरा मत लगाना दोस्त, मेरी तो ऐसी ही जबान है !
जितनी नफरत करनी है कर लेना इस फकीर से,
मेरा दिल तो आज भी अनुभूति से भरी खदान है !
दीप गुर्जर
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